दलितों का अपमान करने वालों पर कार्रवाई से बच रही सरकार
दलितों का अपमान करने वालों पर कार्रवाई से बच रही सरकार
लखनऊ, सामाजिक संस्था बहुजन भारत ने प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दलित युवक से खाने के सामान की डिलीवरी लेने से इंकार करने के साथ ही उसके साथ अपमानजनक व्यवहार करने के मामले को गंभीर और शर्मनाक बताया है और इस मामले में नामजद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। संस्था के अध्यक्ष एवं पूर्व आईएएस कुंवर फ़तेह बहादुर ने कहा कि राजधानी लखनऊ में इस तरह के कृत्य को अंजाम देने वालों से सरकार को सख्ती से निपटने की जरूरत है, उन्होंने कहा कि इस मामले में पीड़ित युवक ने थाना आशियाना में नामजद लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी है, बावजूद इसके अभीतक अभियुक्तों को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है। ऐसा लगता है कि दलितों का उत्पीड़न करने वालों और दलित महिलाओं के विरुद्ध अश्लील व अभद्र टिप्पणी करने वालों के खिलाफ पुलिस और प्रशासन सख्त कार्रवाई करने से बच रहा है।
उन्होंने कहा कि जब राजधानी लखनऊ में दलितों का इस तरह से खुलेआम उत्पीड़न और अपमान किया जा रहा है तो गांवों में दलित उत्पीड़न की घटनाओं का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, लखनऊ के आशियाना क्षेत्र में जोमैटो डिलीवरी ब्वॉय विनीत रावत ने अभियुक्तों के खिलाफ नामजद मुक़दमा दर्ज कराया, पुलिस ने अभियुक्तों के यहाँ जाकर पीड़ित की बाइक भी दिलाई लेकिन अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं किया, दलितों को इन्साफ दिलाने की बात करने वाली सरकार का बुलडोजर भी अभियुक्तों के खिलाफ खुद चलने से बच रहा है। जातिवादी व्यवस्था के पोषकों ने इस तरह का कृत्य करके दलितों को इस तरह के रोजगार से दूर करने का भी प्रयास किया है, और ये लोग राज्य में मनुवादी व्यवस्था लागू करने की तैयारी भी कर रहे हैं और ऐसा लगता है कि ऐसे तत्वों को सरकार का मूक समर्थन हासिल है।
संस्था के अध्यक्ष ने कहा कि लखनऊ जिले के तहसील मोहनलालगंज के तहसीलदार निखिल शुक्ल ने दलितों के खिलाफ अभद्र और अपमानजनक टिप्पणी की और उनके खिलाफ लगभग एक महीने के प्रयास के बाद दलित निवारण अत्याचार अधिनियम के खिलाफ मुक़दमा भी दर्ज हुआ, बावजूद इसके अभीतक उनकी गिरफ़्तारी नहीं की गयी, वहीँ लखनऊ विश्वविद्यालय के दलित प्रोफेसर रविकांत के खिलाफ भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं की शिकायत पर उन पर पुलिस ने मुक़दमा दर्ज कर लिया, जबकि रविकांत के साथ अभद्रता व मारपीट के मामले में पुलिस की ओर से अभीतक एफआईआर दर्ज नहीं की गयी। उन्होंने कहा कि यदि विश्वविद्यालयों में अध्यापन कार्य कर रहे दलित समाज के प्रोफ़ेसरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा कहीं कोई तथ्यों के आधार पर भी अपनी बात रखी जाती हैं तो उनके खिलाफ धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप में एफआईआर होने के साथ ही उनकी गिरफ्तारी हो रही है।
कुंवर फ़तेह बहादुर ने कहा कि सरकार और पुलिस प्रशासन सोशल मीडिया पर की जा रही टिप्पणी के आधार पर दलितों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई कर रही है, लेकिन इसी सोशल मीडिया पर दलितों के विरुद्ध रोजाना सैकड़ों अभद्र, अपमानजनक और आपत्तिजनक टिप्पणी के अलावा दलितों को खुलेआम पीटा जा रहा है, उन्हें अपमानित किया जा रहा है, शिकायत करने पर भी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, सरकार व पुलिस प्रशासन दलितों के खिलाफ पोस्ट करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करे, इससे सामाजिक सामंजस्य स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि शायद अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को लेकर सरकार व अधिकारियों की कुछ और ही राय है। बैठक में संस्था के महासचिव चिंतामणि, उपाध्यक्ष नन्द किशोर, कोषाध्यक्ष राम कुमार गौतम, संयुक्त सचिव कृष्ण कन्हैया पाल, नवल किशोर ने भी अपने विचार रखे।