सौर ऊर्जा का हब बन रहा है उत्तर प्रदेश
लखनऊ, उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तीव्र प्रगति कर रहा है। पिछले एक वर्ष में राज्य में 17 सौर ऊर्जा संयंत्रों में लगभग 1100 मेगावाट क्षमता का परिचालन शुरू हुआ है, जिसे लगभग 7492.4 करोड़ रुपये के निवेश द्वारा स्थापित किया गया है। इन सौर संयंत्रों ने 7556 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा किए हैं।
अधिकृत सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि राज्य अपने अक्षय ऊर्जा मिशन को तेज़ी से आगे बढ़ा रहा है, वर्ष 2024 और 2025 की शुरुआत में 17 सौर ऊर्जा सयंत्रों का परिचालन शुरू हुआ है। ये परियोजनाएँ राज्य की सौर ऊर्जा क्षमता को गति दे रही हैं, जिसमें बुंदेलखंड और पूर्वांचल प्रमुख क्षेत्र बनकर उभरे है और जो क्षेत्रीय विकास और रोज़गार को बढ़ावा दे रहे हैं।
उन्होने कहा कि कभी पिछड़ा क्षेत्र माने जाने वाला बुंदेलखंड अब उत्तर प्रदेश के अक्षय ऊर्जा का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध सूर्य प्रकाश और धूप इसे सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए आदर्श बनाती है। इस क्षेत्र में स्थापित 10 नए सौर संयंत्रों में 995 मेगावाट का परिचालन शुरू हो गया , जिससे यह क्षेत्र यूपी के नए ऊर्जा केंद्र के रूप में स्थापित हुआ है।
झांसी सौर ऊर्जा परियोजना टीयूएससीओ लिमिटेड द्वारा 600 मेगावाट की यह परियोजना जनवरी 2025 में चालू हो गई। 3430 करोड़ रुपये के निवेश से समर्थित इस परियोजना ने न केवल ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि की है, बल्कि इस क्षेत्र में लगभग 300 नौकरियाँ भी पैदा की हैं।
इसी के साथ झांसी के बबीना में फोर्थ पार्टनर एनर्जी द्वारा 100 मेगावाट का सोलर प्लांट 2024 के मध्य में 1200 करोड़ रुपये के निवेश के साथ शुरू हुआ, जिससे 1000 रोजगार के अवसर पैदा हुए। बुंदेलखंड में एक और महत्वपूर्ण विकास सन सोर्स एनर्जी सोलर ओपन एक्सेस प्रोजेक्ट है, जो राज्य के ऊर्जा ग्रिड में अतिरिक्त 135 मेगावाट का योगदान देता है। 600 करोड़ रुपये से वित्त पोषित इस परियोजना ने 500 नौकरियां भी पैदा की हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर बहुत जरूरी रोजगार मिला है। अकेले बुंदेलखंड क्षेत्र में, इन संयंत्रों द्वारा लगभग 2440 लोगों को रोजगार मिला है।
उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में पूर्वांचल में 85 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता की स्थापना हुई है, जिसका नेतृत्व बहराइच में टाटा पावर की टीपी रिन्यूएबल माइक्रोग्रिड पहल जैसी अग्रणी परियोजनाओं द्वारा किया गया है। यह परियोजना विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा समाधानों के माध्यम से ग्रामीण विद्युतीकरण पर केंद्रित है और इसका लक्ष्य राज्य भर के गांवों में 5000 माइक्रोग्रिड स्थापित करना है। 500 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, यह परियोजना ग्रामीण परिवारों को स्थायी बिजली प्रदान करने और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से हुआ है।
इसके अतिरिक्त, पूर्वांचल के मऊ में एम्प एनर्जी इंडिया की 75 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना जून 2024 में चालू हो गई। 340 करोड़ रुपये के निवेश से समर्थित यह परियोजना क्षेत्र की सौर क्षमता में वृद्धि करती है और राज्य के नवीकरणीय ऊर्जा उद्देश्यों का समर्थन करती है। पूर्वांचल ने इन सौर ऊर्जा पहलों के माध्यम से 5000 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया गया है।
पश्चिमांचल में 184.5 करोड़ रुपये के निवेश से 30 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाले तीन सौर ऊर्जा संयंत्र चालू हो गए हैं। एक संयंत्र आगरा में और दो पीलीभीत में स्थित हैं, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 10 मेगावाट है। इसी के साथ मध्यांचल के सीतापुर में 40 करोड़ रुपये के निवेश से 10 मेगावाट क्षमता के संयंत्र परिचालन शुरू हो गया है।