भारत की महत्वपूर्ण घटनाओं को बारीकी से समेटती मिस्टर परफेक्शनिस्ट की ये फिल्म है परफेक्ट

भारत की महत्वपूर्ण घटनाओं को बारीकी से समेटती मिस्टर परफेक्शनिस्ट की ये फिल्म है परफेक्ट

नई दिल्ली, देश में बीते 50 साल की घटनाओं को एक प्रेम कहानी के जरिये कैद करती आमिर खान और करीना कपूर की नई फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ 11 अगस्त को भारत में सिनेमा घरों में रिलीज हो गई है। ये टॉम हैंक्स की फिल्म ‘फॉरेस्ट गंप’ की हिंदी रीमेक है जो साल 1994 में रिलीज हुई थी। रिलीज से पहले फिल्म को बायकॉट करने की मांग की जा रही थी तो वहीं अब फिल्म रिलीज होने के बाद लोगों की राय पूरी तरह बदल गई है।

फिल्म लाल सिंह चड्ढा और रूपा डिसूजा(करीना कपूर) की प्रेम कहानी। लाल सिंह (आमिर खान) जो थोड़ा बुद्धू किस्म का बच्चा है दिमाग से कम और दिल से ज्यादा समझता है। और अपनी मां का कहना आंख मूंद कर मानता है। बचपन में पैरों में तकलीफ के कारण वह ठीक से चल नहीं पाता,लेकिन लाल की मां जिंदगी में उसे कभी हार न मानने का सबक देते हुए आगे बढ़ने के लिए कहती है। फिर वह ऐसी दौड़ लगाता है कि रूकता नहीं है। लाल की जिंदगी में बाला और रूपा जैसे दोस्त भी मिलते हैं।

वही बचपन में 10 रुपये के लिए अपनी मां को खो देने वाली रूपा (करीना कपूर) मां के मरने के बाद लाल के घर रहने आ जाती है। दोनों साथ पढ़ने स्कूल जाते हैं। रूपा का हर काम लाल खुशी खुशी करता है। बचपन में गरीबी झेलनी वाली रूपा को बड़े हो कर किसी भी तरह अमीर बनना है। वह मॉडल बनती है और मुंबई आकर हीरोइन बनने के ‘दलदल’ में ऐसा फंसती है जहां से निकलने के लिए उसे आत्महत्या ही एक मात्र रास्ता नजर आता है।

फिल्म की शुरुआत लाल सिंह से है जो रेल से चंडीगढ़ जा रहा है। वो गोलगप्पे खाते हुए वह सहयात्रियों को अपने जीवन की कहानी सुनाता है। लाल सिंह की मासूमियत, उसका बोलने का ढंग, उसकी बॉडी लैंग्वेज, उसकी सोच बहुत अच्छी लगती है। लाल सिंह के जीवन में कैसे चमत्कार हुए, सेना में लाल सिंह और बाला की दोस्ती वाला प्रसंग भी मनोरंजक है। बाला का रिटायर होने के बाद चड्ढी-बनियान का बिजनेस करने का प्लान और जुनून, लाल ने किस तरह बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान को अपनी सिग्नेचर डांसिंग स्टाइल सिखाई और अपने दोस्त की याद में ‘रूपा’ इनरवियर का आइडिया काफी मजेदार है।

फिल्म में भारतीय इतिहास की कई घटना को दिखाया गया है। देश की आजादी से लेकर सिखों के खिलाफ हुई हिंसा और सुष्मिता सेन का मिस यूनिवर्स बनने तक हर एक घटना को बेहतर तरीके से दिखाया गया है। फिल्म 1984 की इमर्जेन्सी से शुरू होकर मोदी सरकार पर खत्म होती है, जहां बाबरी मस्जिद, मंडल आयोग, ऑपरेशन ब्लू स्टार, कसाब का आतंकी हमला जैसे राजनीतिक और धार्मिक मुद्दे भी आते हैं।

एक्टिंग की बात करें तो आमिर खान ने लाजवाब काम किया है। वह लाल के किरदार में डूब गए हैं। करीना कपूर ने अपने किरदार को अच्छे से निभाया है।
नागा चैतन्य का बॉलीवुड में अच्छा डेब्यू है। मानव विज और मोना सिंह ने भी अपने किरदार को बखूबी निभाया है।
आमिर खान की ‘लाल सिंह चड्ढा’ इस दौर की महत्वपूर्ण फिल्म है, जिसे एक बार देखना तो बनता है।

 

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