“भारत आसियान नयी चुनौतियों का मुकाबला करने में सक्षम”
“भारत आसियान नयी चुनौतियों का मुकाबला करने में सक्षम”
नयी दिल्ली, भारत ने गुरुवार को आसियान के देशों के साथ अपनी रणनीतिक साझीदारी को विकेंद्रित वैश्वीकरण तथा टिकाऊ एवं भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण बताया और इसके लिए मौजूदा परिस्थितियों के मुताबिक नयी प्राथमिकताएं तय करने एवं उनके शीघ्र क्रियान्वयन पर बल दिया।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज यहां आसियान भारत विदेश मंत्रियों की विशेष बैठक की सह अध्यक्षता करते हुए अपने आरंभिक उद्बोधन में कहा कि हालांकि कोविड महामारी अभी पूरी तरह से गई नहीं है लेकिन कोविड पश्चात रिकवरी के प्रयासों के तहत अनेक मसलों पर चर्चा की जरूरत है। डॉ. जयशंकर ने कहा कि यह मार्ग यूक्रेन के घटनाक्रम के बाद उत्पन्न भू राजनीतिक परिस्थितियों के कारण और कठिन हो गया है। खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के साथ साथ उर्वरक एवं आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर इसका असर पड़ रहा है और लाॅजिस्टिक्स एवं आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो रही है।
उन्होंने कहा कि आसियान क्षेत्रवाद, बहुपक्षवाद और वैश्वीकरण के पक्ष में हमेशा ध्वजवाहक बना रहा है। आसियान ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सामरिक आर्थिक ढांचे की मजबूत बुनियाद रखने में कामयाबी हासिल की है। मौजूदा भू राजनीतिक चुनौतियों एवं वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच आसियान की भूमिका आज पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। भारत एक मजबूत, एकजुट एवं समृद्ध आसियान और हिन्द प्रशांत क्षेत्र में उसकी केंद्रीय भूमिका का पूरा समर्थन करता है।
डाॅ. जयशंकर ने कहा,“ वर्तमान वैश्विक अनिश्चितता के बीच आज हमने अपनी 30 वर्ष की यात्रा की समीक्षा कर रहे हैं और आने वाले दशकों के लिए पथ रेखांकित कर रहे हैं। ऐसे में यह भी महत्वपूर्ण है कि हम मौजूदा पहलों को जल्दी पूरा करें और नयी प्राथमिकताएं तय करें।”
उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत आसियान अपने संबंधों के चौथे दशक में परस्पर बेहतर कनेक्टिविटी के साथ विकेंद्रीकृत वैश्वीकरण तथा टिकाऊ एवं भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला को सुनिश्चित करने के लिए तैयार हैं जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।