सीएम योगी मेरठ में करेंगे शहीदों के परिजनों का सम्मान
सीएम योगी मेरठ में करेंगे शहीदों के परिजनों का सम्मान
लखनऊ, क्रांति दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को क्रांति धरा मेरठ में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और शहीदों के परिजनों का सम्मान करेंगे।
यह पहला अवसर है जब क्रांतिकारियों के सम्मान में पहली बार कोई मुख्यमंत्री मेरठ पहुंच रहा है। 1857 की क्रांति के 165 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में क्रांति धरा पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। सीएम योगी राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय और विक्टोरिया पार्क में क्रांति दिवस पर आयोजित कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। साथ ही मंडल के विकास कार्यों और कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक करेंगे।
इसके अलावा वह निर्माणाधीन ट्रांजिट हास्टल, आरआरटीएस परियोजना और इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम का निरीक्षण करेंगे। इस दौरान श्री योगी क्रांतिकारी नायक और 1857 की क्रांति के अग्रदूत शहीद कोतवाल धन सिंह गुर्जर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे। अमर जवान ज्योति, शहीद मंगल पांडेय और शहीद स्मारक स्तंभ पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे।
सीएम योगी अपने पहले कार्यकाल में मार्च 2017 में सरकार बनने के बाद नौ मई को मेरठ पहुंचे थे। उस समय भी उन्होंने शहीद स्मारक जाकर क्रांति के अमर बलिदानियों को पुष्पांजलि अर्पित की थी।
इस बार वह क्रांति दिवस पर क्रांति के अमर बलिदानियों को न फिर से नमन करने जा रहे हैं, बल्कि इस अवसर पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा भी लेंगे।
करीब साढ़े चार घंटे का श्री योगी का मेरठ प्रवास जिले के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। इस दौरान सीएम विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी करेंगे। इसमें 861 करोड़ की सात परियोजनाओं का शिलान्यास और 5810 करोड़ की लागत की 11 परियोजनाओं का लोकार्पण करेंगे। इसके अलावा मंडलीय समीक्षा बैठक में मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद, हापुड़, गौतमबुद्धनगर और बागपत जिले के विकास कार्यों और कानून व्यवस्था की समीक्षा भी करेंगे।
गौरतलब है कि 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ मेरठ से सुलगी की क्रांति के 165 वर्ष पूरे हो रहे है। आठ अप्रैल को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंगल पांडेय को फांसी दी गयी थी जबकि नौ मई चर्बी युक्त कारतूस का विरोध करने पर 85 सैनिकों का कोर्ट मार्शल किया गया वहीं 10 मई को 85 सैनिकों ने मेरठ में बगावत की और 11 मई को सैनिकों ने दिल्ली पर कब्जा किया। इस बीच 13 मई से 31 मई तक क्रांति की ज्वाला देश के कई जिलों में फैल चुकी थी।