भाजपा के ‘संकल्प पत्र’ को ‘माफीनामा’ कहा जाना चाहिए: कांग्रेस
नयी दिल्ली, कांग्रेस ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी के ‘संकल्प पत्र’ को ‘माफीनामा’ कहा जाना चाहिए क्योंकि वह पिछले 10 वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा किए गए एक भी मुद्दे को पूरा करने में विफल रही है।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा, सुप्रिया श्रीनेत और अमिताभ दुबे ने यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए इस आशय की बात कही।
कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने कहा,“इस संकल्प पत्र को ‘माफीनामा’ कहा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री को 10 साल के शासन के दौरान घोषणापत्र में किये अपना वादा पूरा नहीं करने के लिए देश के दलितों, किसानों, युवाओं और आदिवासियों से माफी मांगनी चाहिए।”
श्री खेड़ा ने आरोप लगाया,“श्री मोदी ने टास्क फोर्स बनाकर काला धन वापस लाने का वादा किया था, लेकिन उसकी जगह चुनावी बांड आ गए। उन्होंने पूर्वोत्तर में कानून-व्यवस्था को मजबूत करने का वादा किया था, लेकिन मणिपुर में हिंसा हुई, जो जारी है और पीएम इस पर चुप हैं और गरीबी बढ़ गई है।”
श्री खेड़ा ने कहा,“प्रधानमंत्री का एक और जुमला 100 नए स्मार्ट शहर बनाने का था, लेकिन चीन सीमा पर स्मार्ट गांव बना रहा है। देश की जनता मोदी सरकार के इन झूठे वादों से तंग आ चुकी है।”
कांग्रेस की सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म की अध्यक्ष सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “हमने दिसंबर 2023 में घोषणापत्र समिति के गठन का फैसला किया और पार्टी नेता राहुल गांधी के नेतृत्व वाली ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान लोगों के सभी सुझाव लिए गए। दूसरी ओर, भाजपा ने 30 जनवरी को एक घोषणापत्र समिति का गठन किया और केवल 13 दिनों में ‘कॉपी-पेस्ट’ कर ‘जुमला पत्र’ लेकर आई।”
‘बेरोजगारी’ के मुद्दे पर भाजपा को घेरते हुए श्रीनेत ने कहा कि भाजपा के घोषणापत्र में सिर्फ दो बार नौकरियों का जिक्र है, जबकि कांग्रेस के घोषणापत्र में युवाओं को 30 लाख स्थायी नौकरियां देने और स्नातकों को एक लाख रुपये का वजीफा देने की बात कही गयी है।”
उन्होंने कहा कि भाजपा के घोषणापत्र में मणिपुर या चीन भारतीय क्षेत्र में कितना प्रवेश कर चुका है, किसानों की आय दोगुनी करने, एमएसपी, मुद्रास्फीति, लद्दाख या महिलाओं के मुद्दों का कोई उल्लेख नहीं है।
इस बीच अमिताभ दूबे ने कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा या कृषि क्षेत्र में कोई सुधार नहीं हुआ है।