राधाष्टमी पर बरसाने की ओर चुम्बक की तरह खिंचे चले आते हैं देश के कोने कोने से श्रद्धालु
राधाष्टमी पर बरसाने की ओर चुम्बक की तरह खिंचे चले आते हैं देश के कोने कोने से श्रद्धालु
मथुरा , राधारानी का जन्म भले ही उनके ननिहाल रावल में हुआ हो किंतु बरसाने में श्यामसुन्दर के साथ लीला करने और उनका पैतृक गांव होने के कारण उनके गांव बरसाने में डार डार अरू पात पात में राधे राधे की ऐसी प्रतिध्वनि होती है कि राधाष्टमी पर बरसाने की ओर तीर्थयात्री चुम्बक की तरह खिंचे चले आते हैं।
इस बार बरसाने के मन्दिरों में राधाष्टमी 23 सितंबर को मनाई जाएगी। वैसे तो ब्रज के अधिकांश मन्दिरों में राधाष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है पर बरसाने का आकर्षण निराला इसलिए होता है कि यहां पर राधाष्टमी का पर्व पूर्णिमा तक अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। जिस प्रकार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर तीर्थयात्रियों का हजुम जुड़ता है उसी प्रकार राधाष्टमी पर तीर्थयात्रियों का हजूम बरसाने में जुड़ता है तथा एक प्रकार से बड़ा मेला सा लग जाता है जिसके कारण प्रशासन को वहां की व्यवस्थाएं ऐसी करनी पड़ती है कि तीर्थयात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी भी न हो और कोई घटना न घटे।
व्यवस्थाओं के संबंध में जिलाधिकारी शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र को सात सुपर जोन और 16 सेक्टर में विभाजित किया गया है तथा 39 पार्किंग बनाए गए हैं। पार्किंग एरिया को समतल कराने , उस पर रैंप बनाने, पेयजल, शौचालय एवं प्रकाश की व्यवस्था करने तथा चेकर्ड प्लेट की व्यवस्था करने, साइनबोर्ड लगाने को कहा गया है। पार्किंग के बाद एक निश्चित सीमा से आगे कोई वाहन नही जाएगा तथा मन्दिर में जाने के लिए वन वे सिस्टम लागू करने तथा मन्दिर तक पहुंचने के लिए दस बाक्स बनाने को कहा गया है। एक बार में एक बाक्स में मौजूद तीर्थयात्री ही मन्दिर में प्रवेश कर सकेंगे और उनके तीन निकास द्वारों में से किसी से निकल जाने के बाद ही अगले बाक्स के तीर्थयात्री मंदिर में जा सकेंगे।