दलित छात्र की हत्या भारतीय लोकतंत्र के लिए काला धब्बा: कुंवर फ़तेह बहादुर
दलित छात्र की हत्या भारतीय लोकतंत्र के लिए काला धब्बा: कुंवर फ़तेह बहादुर
लखनऊ, सामाजिक संस्था बहुजन भारत के अध्यक्ष एवं पूर्व आईएएस कुंवर फ़तेह बहादुर ने राजस्थान के जालौर में शिक्षक द्वारा दलित छात्र की हत्या की निंदा की है। उन्होंने कहा कि इस ह्रदय विदारक घटना की जितनी भर्त्सना की जाये कम है, छुआछूत के आधार पर की गयी ये वीभत्स घटना भारतीय लोकतंत्र के लिए काला धब्बा है। संस्था मुख्यालय में हुई बैठक में अध्यक्ष ने कहा कि आजादी के 75 साल होने के बाद भी एक शिक्षक ने दलित छात्र की क्रूरता से पीट-पीटकर हत्या कर दी, जबकि शिक्षक को समाज में सभ्य माना जाता है, ऐसी घटना की भारत वर्ष के सभी समाज के लोगों को शर्म महसूस करनी चाहिए। इस तरह की घटनाएँ क्यों हो रहीं हैं और इसे कैसे रोका जाये, इस पर भी अनुसूचित जाति/ जनजाति के लोगों को सोचना होगा। उन्होंने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने दलितों को उनके अधिकार दिलाने के लिए संविधान में लोकसभा और विधानसभाओं में इन वर्ग के लिए इनकी आबादी के मुताबिक सीटें आरक्षित करने की व्यवस्था की, लेकिन दुर्भाग्य है कि वंचितों और शोषितों की आवाज उठाने व उन्हें न्याय दिलाने के लिए विभिन्न दलों से चुनकर जाने वाले प्रतिनिधि दलितों के अधिकारों के बजाय अपने दल के एजेंडे व रणनीति के हिसाब से बोलते हैं और जिस दल से चुनकर आते हैं उसके बंधुआ गुलाम बनकर रह रहे हैं। ये दलित प्रतिनिधि वहीँ दलित उत्पीडन की आवाज उठाते हैं, जहाँ इनकी पार्टी की सरकार ना हो।
संस्था के अध्यक्ष ने कहा कि दलितों और पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ ही अल्पसंख्यक समाज के लोगों को उनके संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए ही बहुजन नायक कांशीराम ने बसपा का गठन किया, लेकिन यह दुर्भाग्य ही है बसपा का मौजूदा नेतृत्व रीढ विहीन हो गया है, ऐसे में दलित समाज के लोगों की ज्यादा जिम्मेदारी बनती है कि वे इस तरह के जाति के आधार पर होने वाली अमानवीय और बर्बरता पूर्वक घटनाओं को रोकने के लिए एकजुट हों और ऐसी घटनाओं का मजबूती के साथ लोकतान्त्रिक तरीके से विरोध करें। उन्होंने कहा कि रोहित वेमुला से लेकर ऊना कांड जैसी घटनाएँ दलितों के खिलाफ देश में मनुवादी व्यवस्था लागू करने वाले संगठनों और समर्थक दलों की साजिश का हिस्सा है, इससे बहुजन समाज के लोगों को सतर्क रहकर इसके खिलाफ संयुक्त और मजबूत आन्दोलन चलाने की जरूरत है। बैठक में संस्था के महासचिव चिंतामणि, उपाध्यक्ष नन्द किशोर, कोषाध्यक्ष रामकुमार गौतम, संयुक्त सचिव कृष्ण कन्हैया पाल, नवल किशोर आदि लोगों ने भी अपने विचार रखे।