विमानन क्षेत्र में वैल्यू चेन लीडर के रूप में उभरेगा भारत : PM मोदी

नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के विमानन क्षेत्र में आये क्रांतिकारी बदलावों की सराहना करते हुए आज कहा कि देश में विमानन क्षेत्र नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के लिए तैयार है और आने वाले दिनों में दुनिया, भारत को एक विमानन बाज़ार नहीं, बल्कि एक वैल्यू चेन लीडर के रूप में भी देखेगी इसलिए दुनिया की बड़ी विमानन कंपनियों के लिए भारत में निवेश के लिए आज एक बेहतरीन अवसर है।

प्रधानमंत्री मोदी ने यहां भारत मंडपम में अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (आईएटीए) की 81वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) और विश्व वायु परिवहन शिखर सम्मेलन (डब्ल्यूएटीएस) के पूर्ण सत्र को संबोधित किया। श्री मोदी ने विश्व स्तरीय हवाई बुनियादी ढांचे के विकास और कनेक्टिविटी को बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि आज का भारत पहले से कहीं अधिक आश्वस्त है। उन्होंने वैश्विक विमानन पारिस्थितिकी तंत्र में भारत की भूमिका को न केवल एक विशाल बाजार के रूप में बल्कि नीतिगत नेतृत्व, नवाचार और समावेशी विकास के प्रतीक के रूप में भी रेखांकित किया। आज भारत अंतरिक्ष-विमानन क्षेत्र में एक वैश्विक लीडर के रूप में उभर रहा है। यह देखते हुए कि नागरिक उड्डयन क्षेत्र ने पिछले एक दशक में ऐतिहासिक प्रगति देखी है, जो अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त हैं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह शिखर सम्मेलन और संवाद न केवल विमानन के लिए बल्कि वैश्विक सहयोग, जलवायु प्रतिबद्धताओं और न्यायसंगत विकास को आगे बढ़ाने के लिए भी एक मंच के रूप में काम करते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि शिखर सम्मेलन में चर्चा वैश्विक विमानन को नई दिशा प्रदान करेगी, इसकी अनंत संभावनाओं को उजागर करेगी और इसकी क्षमता को अनुकूलित करेगी। उन्होंने चंद घंटों में विशाल दूरी एवं अंतरमहाद्वीपीय यात्राओं को पार करने की मानवता की क्षमता पर रेखांकित की और इस बात पर जोर दिया कि 21वीं सदी की आकांक्षाएं पारंपरिक यात्रा से परे विकसित होती रहती हैं। उन्होंने नवाचार की तीव्र गति और तकनीकी प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि जैसे-जैसे गति बढ़ती है, दूर के गंतव्य हमारी नियति बन रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात को रेखांकित किया कि अंतरिक्ष उड़ानों और अंतरग्रहीय यात्राओं के व्यावसायीकरण की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के साथ यात्रा अब पृथ्वी के शहरों तक ही सीमित नहीं है। उन्हें नागरिक उड्डयन में एकीकृत करते हुए, उन्होंने स्वीकार किया कि इस तरह के विकास में समय लगेगा, लेकिन वे परिवर्तन और नवाचार के केंद्र के रूप में विमानन के भविष्य को उजागर करते हैं, जिसके लिए भारत पूरी तरह से तैयार है। प्रधानमंत्री ने भारत के विमानन क्षेत्र को चलाने वाले तीन मूलभूत स्तंभों की रूपरेखा बतायी, पहला, एक विशाल बाजार-न केवल उपभोक्ताओं का संग्रह बल्कि भारत के आकांक्षी समाज का प्रतिबिंब है। दूसरा, एक मजबूत जनसांख्यिकीय और प्रतिभा पूल-जहाँ युवा नवप्रवर्तक कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स और स्वच्छ ऊर्जा में सफलताओं का नेतृत्व कर रहे हैं। तीसरा, एक खुला और सहायक नीतिगत पारिस्थितिकी तंत्र – औद्योगिक विकास को सक्षम करना है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन शक्तियों के साथ भारत अपने विमानन क्षेत्र को अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए तैयार है।

प्रधानमंत्री ने पिछले वर्षों में नागरिक उड्डयन में भारत के उल्लेखनीय परिवर्तन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार बन गया है। उड़ान योजना की सफलता को भारतीय नागरिक उड्डयन इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय बताते हुए, श्री मोदी ने कहा कि इस पहल के तहत, डेढ़ करोड़ से अधिक यात्रियों को सस्ती हवाई यात्रा से लाभ हुआ है, जिससे कई नागरिक पहली बार उड़ान भर सके हैं। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि भारत की एयरलाइंस दो अंकों की वृद्धि हासिल करना जारी रखती हैं, जिसमें सालाना 24 करोड़ यात्री उड़ान भरते हैं-जो दुनिया भर के अधिकांश देशों की कुल आबादी को पार कर जाती है। उन्होंने अनुमान लगाया कि 2030 तक इस संख्या के 50 करोड़ यात्रियों तक पहुंचने की उम्मीद है। श्री मोदी ने कहा कि भारत में सालाना 35 लाख मीट्रिक टन माल का परिवहन हवाई मार्ग से किया जाता है और इस दशक के अंत तक यह मात्रा बढ़कर एक करोड़ मीट्रिक टन हो जाएगी।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ये आंकड़े केवल आंकड़े नहीं हैं बल्कि भारत की अपार क्षमता का प्रतिबिंब हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत इस क्षमता को अधिकतम करने के लिए एक भविष्यवादी रोडमैप पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है। उन्होंने विश्व स्तरीय हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे में भारत के निवेश को रेखांकित करते हुए कहा कि 2014 में देश में 74 परिचालन हवाई अड्डे थे, जो अब बढ़कर 162 हो गए हैं। श्री मोदी ने आगे कहा कि भारतीय वाहकों ने 2,000 से अधिक नए विमानों के ऑर्डर दिए हैं, जो इस क्षेत्र में तेजी से वृद्धि का संकेत देते हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि यह सिर्फ शुरुआत है, क्योंकि भारत का विमानन उद्योग अभूतपूर्व ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण उड़ान बिंदु पर खड़ा है, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह परिवर्तन न केवल भौगोलिक सीमाओं को पार करेगा बल्कि वैश्विक स्तर पर स्थिरता, हरित गतिशीलता और न्यायसंगत पहुंच को भी बढ़ावा देगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के हवाई अड्डों पर अब 50 करोड़ यात्रियों की वार्षिक हैंडलिंग क्षमता है और यह प्रौद्योगिकी के माध्यम से उपयोगकर्ता अनुभव में नए मानक स्थापित करने वाले कुछ देशों में से एक है।” उन्होंने कहा कि सुरक्षा, दक्षता और स्थिरता को समान प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने टिकाऊ विमानन ईंधन की दिशा में भारत के परिवर्तन, हरित प्रौद्योगिकियों में निवेश और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के प्रयासों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत प्रगति और पर्यावरण सुरक्षा दोनों को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे विकास के प्रति संतुलित दृष्टिकोण मजबूत होगा।

डिजिटल विमानन के अग्रणी उदाहरण के रूप में डिजी यात्रा ऐप का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि डिजी यात्रा चेहरे की सत्यापन तकनीक का उपयोग करके एक पूर्ण, निर्बाध यात्रा समाधान प्रदान करती है, जिससे यात्री कागजी दस्तावेजों या आईडी डिस्प्ले की आवश्यकता के बिना हवाई अड्डे के प्रवेश द्वार तक बोर्डिंग गेट तक जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी आबादी की सेवा करने में भारत के नवाचार और अनुभव से कई देशों को लाभ हो सकता है। उन्होंने कहा, “डिजीयात्रा एक सुरक्षित और स्मार्ट समाधान के रूप में खड़ी है, जो वैश्विक दक्षिण के लिए प्रेरणा के एक मॉडल के रूप में कार्य करती है।”

प्रधानमंत्री ने यह रेखांकित करते हुए कि निरंतर सुधार भारत के तेजी से बढ़ते विमानन क्षेत्र का एक प्रमुख चालक रहे हैं, इस दृष्टिकोण का समर्थन करने वाली रणनीतिक पहलों के साथ वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में मिशन मैन्युफैक्चरिंग की घोषणा की गई थी। उन्हाेंने औद्योगिक विकास पर भारत के फोकस को मजबूत करते हुए इस वर्ष संसद में पारित विमान वस्तुओं में रुचि के संरक्षण विधेयक पर प्रकाश डाला, जिसमें भारत में केप टाउन संधि को कानूनी अधिकार दिया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कानून भारत में वैश्विक विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियों के लिए नए अवसर खोलता है। उन्होंने गिफ्ट सिटी में दिए गए प्रोत्साहनों की ओर भी इशारा करते हुए कहा कि इन उपायों ने भारत को विमान पट्टे पर देने के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “नया भारतीय विमान अधिनियम विमानन कानूनों को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखित करता है, एक सुव्यवस्थित नियामक ढांचा, अनुपालन में आसानी और एक सरलीकृत कर संरचना सुनिश्चित करता है जो प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय विमानन कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण निवेश अवसर प्रस्तुत करता है।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि विमानन क्षेत्र में वृद्धि नई उड़ानों, नई नौकरियों और नई संभावनाओं में परिवर्तित होती है, यह देखते हुए कि उद्योग पायलटों, चालक दल के सदस्यों, इंजीनियरों और जमीनी कर्मचारियों के लिए अवसरों का विस्तार कर रहा है। प्रधानमंत्री ने सूर्योदय क्षेत्र के रूप में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) के उद्भव की ओर भी इशारा किया, जिसमें कहा गया कि भारत विमान रखरखाव के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने के प्रयासों में तेजी ला रहा है। उन्होंने कहा कि 2014 में, भारत के पास 96 एमआरओ सुविधाएं थीं, जो अब बढ़कर 154 हो गई हैं जबकि स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई, जीएसटी में कमी और कर युक्तिकरण उपायों ने भारत के एमआरओ क्षेत्र को नई गति दी है। श्री मोदी ने देश की विमानन विकास रणनीति को मजबूत करते हुए 2030 तक 4 अरब डॉलर का एमआरओ हब स्थापित करने के भारत के लक्ष्य को आगे रेखांकित किया।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को केवल एक विमानन बाजार के रूप में नहीं बल्कि एक मूल्य-श्रृंखला लीडर के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “डिजाइन से लेकर वितरण तक, भारत वैश्विक विमानन आपूर्ति श्रृंखला का एक अभिन्न अंग बन रहा है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की दिशा और गति सही रास्ते पर है, जिसने देश की निरंतर तीव्र प्रगति में विश्वास व्यक्त किया है। श्री मोदी ने विमानन कंपनियों से न केवल ‘मेक इन इंडिया’ को अपनाने का आग्रह किया, बल्कि वैश्विक विमानन नवाचार में भारत के नेतृत्व के दृष्टिकोण को मजबूत करने के लिए ‘डिजाइन इन इंडिया’ को भी अपनाने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि भारत का विमानन क्षेत्र अपने समावेशी मॉडल से मजबूत हुआ है, भारत में 15 प्रतिशत से अधिक पायलट महिलाएं हैं, जो वैश्विक औसत से तीन गुना अधिक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केबिन क्रू में महिलाओं का वैश्विक औसत लगभग 70 प्रतिशत है, जबकि भारत का आंकड़ा 86 प्रतिशत है। श्री मोदी ने यह भी टिप्पणी की कि भारत के एमआरओ क्षेत्र में महिला इंजीनियरों ने वैश्विक औसत से अधिक संख्या में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का प्रदर्शन किया।

प्रधानमंत्री ने ड्रोन प्रौद्योगिकी को विमानन के भविष्य का एक प्रमुख घटक बताते हुए कहा कि भारत तकनीकी प्रगति के साथ-साथ वित्तीय और सामाजिक समावेशन के लिए इसका लाभ उठा रहा है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ड्रोन का उपयोग महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाने, कृषि, वितरण सेवाओं और विभिन्न अन्य क्षेत्रों में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विमानन सुरक्षा हमेशा से भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। भारत ने अपने नियमों को आई. सी. ए. ओ. के वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया है। श्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए कहा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईसीएओ के हालिया सुरक्षा ऑडिट ने विमानन सुरक्षा को मजबूत करने में भारत के प्रयासों को मान्यता दी है और एशिया-प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में दिल्ली घोषणा को अपनाना वैश्विक विमानन उत्कृष्टता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का और प्रमाण है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत लगातार मुक्त आकाश और वैश्विक कनेक्टिविटी का समर्थन करता है। उन्होंने शिकागो कन्वेंशन के सिद्धांतों के प्रति भारत के समर्थन की पुष्टि की, जिसमें एक अधिक जुड़े हुए और सुलभ विमानन नेटवर्क की वकालत की गई। श्री मोदी ने हितधारकों से एक ऐसे भविष्य के निर्माण के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया जहां हवाई यात्रा सुलभ, किफायती और सभी के लिए सुरक्षित हो। उन्होंने विमानन को अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए नए समाधान विकसित करने की क्षेत्र की क्षमता पर विश्वास व्यक्त करते हुए निष्कर्ष निकाला और सभी हितधारकों को अपनी शुभकामनाएं दीं।

केंद्रीय मंत्री श्री किंजारापू राम मोहन नायडू एवं श्री मुरलीधर मोहोल, आईएटीए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष पीटर एल्बर्स, आईएटीए के महानिदेशक विली वाल्श, इंडिगो के प्रबंध निदेशक राहुल भाटिया अन्य गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (आईएटीए) की 81वीं वार्षिक आम बैठक और विश्व वायु परिवहन शिखर सम्मेलन (डब्ल्यूएटीएस) 01 से 03 जून तक आयोजित किया जा रहा है। भारत में अंतिम एजीएम 42 साल पहले 1983 में आयोजित की गई थी। यह वैश्विक विमानन उद्योग के शीर्ष नेताओं, सरकारी अधिकारियों और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया प्रतिनिधियों सहित 1600 से अधिक प्रतिभागियों को एक साथ लाता है।

इस बैठक में विश्व वायु परिवहन शिखर सम्मेलन में विमानन उद्योग के सामने आने वाले प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिसमें एयरलाइन उद्योग का अर्थशास्त्र, वायु संपर्क, ऊर्जा सुरक्षा, सतत विमानन ईंधन उत्पादन, डीकार्बोनाइजेशन का वित्तपोषण, नवाचार आदि शामिल हैं। दुनिया भर के विमानन नेताओं और मीडिया प्रतिनिधियों को भी विमानन परिदृश्य में भारत के उल्लेखनीय परिवर्तन और देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में इसके योगदान को देखने को मिलेगा।

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