किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया गया है: निर्मला सीतारमण
नयी दिल्ली, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट आवंटन में राज्यों के साथ भेदभाव किये जाने के विपक्ष विशेषकर कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुये बुधवार को कहा कि इसमें किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया गया है और बजट भाषण में सभी राज्यों का नाम नहीं लिया जाता है, लेकिन बजट दस्तावेजोें में सभी राज्यों के आवंटन का उल्लेख होता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं से अनौपचारिक चर्चा में इस संबंध में पूछे जाने पर कांग्रेस काे चुनौती देते हुये कहा कि देश में सबसे अधिक बजट पेश करने वाली पार्टी अपने पूर्ववर्ती वित्त मंत्रियों के बजट भाषण को पढ़कर देखे कि क्या उसमें सभी राज्यों के नाम का उल्लेख किया गया है। उन्होंने कांग्रेस पर बजट को लेकर लोगों में भ्रम फैलाने और गलत जानकारी देने का आरोप लगाते हुये कहा कि बजट को लेकर राज्यसभा में सदन के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने जो आज किया है वह उनके लंबे राजनीतिक जीवन को देखते हुये उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि बजट भाषण में नाम का उल्लेख हो या नहीं हो, लेकिन बजट दस्तावेज में राज्यवार आवंटन का उल्लेख होता ही है। उन्होंने कहा कि बजट दस्तावेज में एक-एक रुपया का हिसाब होता है और कहां से आया तथा कहां गया का विस्तार से जिक्र होता है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लिए अभी डेढ़ महीने पहले ही प्रधानमंत्री ने 26 हजार करोड़ की परियोजनाओं की शुरूआत की है जिससे करीब चार लाख रोजगार सृजित होने का अनुमान है।
वित्त मंत्री ने कहा कि केन्द्र प्रायोजित सभी परियोजनायें सभी राज्यों के लिए होती है। इसके आवंटन का लाभ सभी राज्यों को मिलता है और यह राज्यों पर निर्भर करता है कि वह अपने हिस्से का कितना उपयोग कर पाता है। बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष आवंटन के बारे पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश की कोलावरम परियोजना राष्ट्रीय परियोजना है और इसके लिए बहु स्तरीय माध्यम से धनराशि जुटाने की बात कही गयी है। केन्द्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर यह राशि जुटायेगी। इसी तरह से बिहार के लिए कई परियोजनाओं की घोषणायें की गयी है और उसके लिए भी इसी तरह से धनराशि जुटायी जायेगी। उन्होंने कहा कि इस तरह की परियोजनाओं में पूर्वोत्तर में राज्य की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत और केन्द्र की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत होती है जबकि शेष राज्यों में यह 60 और 40 प्रतिशत हिस्सेदारी में होता है।
उन्होंने कहा कि रघुराम राजन समिति और वित्त आयोग ने कांग्रेस के कार्यकाल में ही राज्यों को विशेष दर्जा नहीं देने की सिफारिश की थी और अब किसी भी राज्य को यह दर्जा नहीं दिया जा सकता है। जिन राज्यों को जरूरत है उनकी परियोजनाओं के लिए आवंटन किया जाता है।
बजट की घोषणाओं के विरोध में कांग्रेस के कुछ मुख्यमंत्रियों के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने की घोषणा के बारे पूछे जाने पर श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इससे संबंधित राज्य को नुकसान होगा क्योंकि बैठक में मुख्यमंत्री अपने राज्य के लिए प्रधानमंत्री के समक्ष मांग रखते हैं और उनकी मांग पर गौर किया जाता है। कुछ मुख्यमंत्रियों द्वारा बजट के विरोध में दिये गये बयान पर उन्होंने कहा कि सभी को बजट को पढ़कर अपना रूख व्यक्त करना चाहिए। बगैर पढ़े किसी को सही जानकारी नहीं मिल सकती है।
कांग्रेस द्वारा बजट को नकलची बताये जाने पर उन्होंने कहा कि 2012 में श्री प्रणव मुखर्जी ने वित्त मंत्री के तौर पर एंजेल कर का प्रावधान किये थे जिसे अब उन्होंने समाप्त करने का प्रावधान किया है। इसके साथ ही नये कर्मचारियों की भर्ती से जुड़ी प्रोत्साहन योजना मोदी सरकार से गहरायी से जुड़ी हुयी है क्योंकि वर्ष 2014 से अब तक सभी कैबिनेट नोट के अंत में यह साफ-साफ लिखा हुआ है कि उस दिन के निर्णयों से रोजगार सृजन पर क्या प्रभाव होगा।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वर्ष 2010 में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने की घोषणा की थी और जब मोदी सरकार ने इसको लागू किया तो इसको गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी) बता दिया। उन्होंने कहा कि जीएसटी के लागू होने से पहले देश में त्रिस्तरीय अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था थी, लेकिन अब सिर्फ जीएसटी है। इसको लेकर भी भ्रम फैलाया जा रहा है कि जीएसटी से महंगाई बढ़ी है जबकि जीएसटी में त्रिस्तरीय कर को समाप्त कर एकल कर बना दिया गया है जो पहले की तुलना में कम कर है। हालांकि अब उत्पादों के बिल पर जीएसटी कर का उल्लेख होता है जिसको लेकर लोगों में भ्रम फैलाया जा रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकारी पूंजीगत व्यय 11.11 लाख करोड़ रुपये है और यह राशि सभी राज्यों के लिए है। जहां भी बुनियादी सुविधाओं का विकास होगा केन्द्र और राज्य बैठक कर इसका निर्णय लेता है। उन्होंने कहा कि अब सिर्फ आठ महीने से भी कम समय में 11.11 लाख करोड़ रुपये का व्यय किया जाना है और यह आवंटन भी पिछले वित्त वर्ष की तुलना में करीब 11 प्रतिशत अधिक है।