भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा से कान्हा की नगरी में बही भक्ति रस की गंगा

मथुरा, इस्कान के अनुयायियों द्वारा निकाली गयी भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा से कान्हा की नगरी मथुरा में भक्ति रस से आज उस समय सराबेार हो गई जब ब्रजभूमि के विभिन्न भागों से आए श्रद्धालुओं में रथ खींचकर पुण्य कमाने की होड़ मच गई। इस रथ यात्रा में समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों ने भाग लिया।

इस्कान के मीडिया प्रभारी रविलोचन दास ने बताया कि इस्कान के प्रवर्तक महाप्रभु भक्ति वेदान्त स्वामी का कहना था कि जगन्नाथ रथ यात्रा के अवसर पर जो भी भक्त रथ को भगवान जगन्नाथ का जाप करते हुए श्रद्धापूर्वक गुडीचा तक खींचते हैं ,उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।पौराणिक दृष्टि से यह रथयात्रा भगवान जगन्नाथ ( श्रीकृष्ण), उनकी भाई बलराम और देवी सुभद्रा की गुणांचा तक उनकी मौसी के घर जाने की यात्रा है।

इसमें तीन रथ चलते हैं। सबसे आगे भगवान जगन्नाथ का नन्दीघोष चलता है उसके पीछे बलराम का तालध्वज और सबसे पीछे देवी सुभद्रा का दर्पदालान चलता है। आज इस्कान की ओर से निकाली गई रथ यात्रा में केवल एक ही रथ था जिसमें भगवान जगन्नाथ , बलराम और देवी सुभद्रा के विग्रह विराजमान थे। राधा आर्चिड से रविवार को अपरान्ह प्रारंभ हुई रथयात्रा मसानी, मिलन तिराहा, चैक बाजार, , होलीगेट, डीग गेट , जन्मभूमि, महाविद्या मैदान, रामलीला मैदान होती हुई राधा आर्चिड पर ही समाप्त हुई। रास्ते में इस रथयात्रा में जहां रथ को खींचने की होड़ मची हुई थी वहीं दूसरी ओर ’’जय जगन्नाथ’’ का जयघोष भी हो रहा था। जगह जगह पर रथ पर पुष्प वर्षा हुई और आरती उतारी गई तथा लोगों में प्रसाद वितरित किया गया।

रथ यात्रा मार्ग में महिलाएं अपने घर की छत से यात्रा गुजरने का इंतजार कर रही थी। चार घंटे से अधिक समय में जब रथयात्रा पूरी हुई तो सभी भक्तों में छप्पन भोग का प्रसाद ग्रहण किया।इस रथ यात्रा के लिए इतना अधिक उत्साह था कि रथयात्रा शुरू होने के पहले भावपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया तथा भगवान जगन्नाथ की आरती उतारी गई। कुल मिलाकर आज ब्रजभूमि भगवान जगन्नाथमय हो गई।

इसके अलावा बांके बिहारी मन्दिर में चांदी के रथ से सांकेतिक रथयात्रा निकाली गई तो जगन्नाथ मन्दिर वृन्दावन, द्वारकाधीश मन्दिर, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मन्दिर आदि मन्दिरों में भी रथ यात्रा का आयोजन किया गया।

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