बसपा ने ‘सारिका सिंह’ को टिकट देकर मुकाबले को बनाया दिलचस्प
इटावा, करीब 33 साल पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) संस्थापक कांशीराम को संसद की दहलीज पार कराने वाले इटावा लोकसभा क्षेत्र से पार्टी ने यहां की मूल निवासी सारिका सिंह पर दांव लगा कर मुकाबले को रोचक बनाने का प्रयास किया है।
बसपा संस्थापक कांशीराम को पहली दफा 1991 के संसदीय चुनाव में इटावा सीट से ही जीत हासिल हुई थी । इससे पहले काशीराम को किसी भी लोकसभा से कामयाबी हासिल नहीं हुई थी। काशीराम की इटावा से जीत के बाद इटावा संसदीय सीट का मिजाज बदल गया था।
समाजवादी प्रभाव वाली इटावा संसदीय सीट से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मौजूदा सांसद और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. राम शंकर कठेरिया को दूसरी बार लगातार चुनाव मैदान में उतारा है, वही सपा ने बसपा के दिग्गज रहे जितेंद्र दोहरे तो बसपा ने हाथरस की पूर्व सांसद श्रीमती सारिका सिंह को टिकट दिया है।
सारिका सिंह 2009 में राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर हाथरस से चुनाव मैदान में उतरी थी जिसमें उनको कामयाबी हासिल हुई थी और लोकसभा में जीतने वाली सबसे कम उम्र की सांसद बनी थी लेकिन 2014 के चुनाव में रालोद ने उनको प्रत्याशी नहीं बनाया इसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थामकर आगरा लोकसभा से चुनाव लड़ने की तैयारी की इसके बाबजूद समाजवादी पार्टी ने उनको आगरा से टिकट देने के बाद आखिरी मौके पर उनका टिकट काट दिया था। इसके बाद सारिका सिंह ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा लेकिन वहां से भी उनको चुनाव नहीं लड़ने की निराशा हाथ लगी। जिसके बाद सारिका ने अपनी जन्मस्थली इटावा की तरफ रुख करते हुए यहां से चुनाव लड़ने का मन बनाया और बसपा प्रमुख मायावती से चुनाव लड़ने का आशीर्वाद लेकर मैदान में उतर पड़ी ।
इटावा के रामनगर में नौ अगस्त 1980 को जन्मी सारिका राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़ी हुई है। सारिका के नाना घसीराम जाटव इटावा से सात दफा विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। घासीराम इटावा जिले की बिधुना विधानसभा से 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में विधायक तो निर्वाचित हुए ही इसके बाद भी छह बार इटावा की विभिन्न विधानसभाओं से 1969 तक विधायक रहे है। सारिका सिंह का मायका इटावा शहर के रामनगर स्थित मोहल्ले में है और ननिहाल भी शहर के धोकरन टोला में है।
सारिका सिंह राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर हाथरस से चुनाव लड़ने की तैयारी में थी लेकिन भाजपा और आरएलडी गठबंधन होने पर हाथरस सीट भाजपा के खाते में चली गई। जिस कारण सारिका सिंह बघेल ने बसपा प्रमुख मायावती से मुलाकात करके इटावा से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है।
बहुजन समाज पार्टी इकाई के जिला अध्यक्ष सुनील जाटव का कहना है कि सारिका सिंह इटावा संसदीय सीट से बसपा की ओर से उम्मीदवार घोषित की गई है। इटावा संसदीय सीट का इतिहास उनके हिसाब से खासा महत्वपूर्ण है उनके उम्मीदवार की जीत में कोई बाधा नहीं आएगी,ऐसा उन्हें यकीन है क्यों कि सामाजिक तौर पर उनको हर वर्ग का समर्थन हासिल हो रहा है। जहां उन्हें जाटव वर्ग का समर्थन हासिल हो रहा है वही पाल और गडरिया वर्ग का भी वोट बड़े पैमाने पर मिलने की उम्मीद है। सुनील को भरोसा है कि जैसे बसपा सुप्रीमो काशीराम को इटावा संसदीय सीट से जीत मिली थी ठीक वैसे ही सारिका सिंह को भी 2024 के संसदीय चुनाव में जीत हासिल होगी।