‘दूर के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को घर तक छोड़ेगी सरकार’
शिमला, हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने बजट में स्कूली बच्चों की सुरक्षा व स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए नए प्रावधान किए हैं। इसके तहत प्रदेश सरकार स्कूलों में बच्चों को स्वच्छ पानी की बोतल मुहैया करवाएगी। इसके अलावा दूर के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को घर छोड़ने की व्यवस्था करेगी।
यह जानकारी मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शनिवार को यहां पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने बजट भाषण में कहा कि देश के दो तिहाई जिले पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। बच्चों को पीने के लिए साफ पानी उपलब्ध करवाने के लिए प्रदेशव्यापी अभियान चलाया जाएगा। इस कड़ी में प्रदेश के सरकारी स्कूलों के साढ़े आठ लाख बच्चों को स्वच्छ पानी की बोतल दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के जिन क्षेत्रों में तीन से पांच किलोमीटर के दायरे में कोई प्राथमिक स्कूल नहीं है, वहां के बच्चों को नजदीक के स्कूल तक लाने व वापिस घर छोड़ने की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाएगी। मुख्यमंत्री ने बजट में यह भी कहा कि 500 बच्चों के अधिक वाले स्कूलों में स्वयं सहायता समूहों को मिड-डे-मील के तहत भोजन बनाने और परोसने में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने प्रदेश में पांच राजीव गांधी मॉडल डे बोर्डिंग स्कलों की स्थापना की घोषणा की। ये स्कूल कांगड़ा जिला के लाहड़ू और नगरोटा बगवां, हमीरपुर जिला के अमलेहड़ और भोरंज तथा ऊना जिला के संगनाई में खोले जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने दिव्यांगजनों की उच्च शिक्षा के लिए सोलन जिला के कंडाघाट में एक सेंटर ऑफ एक्सलेंस फॉर एजूकेशन आफ दिव्यांगजनकी स्थापना का भी ऐलान किया है। शिमला के उपनगर ढली में चल रहे दिव्यांगजनों के संस्थान को भी इसी केंद्र में स्थानांतरित किया जाएगा। इस केंद्र में 27 साल तक की आयु के दिव्यांगों के लिए आवासीय सुविधाएं, खेल मैदान व अन्य सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन पात्र दिव्यांग बच्चों के लिए रहने की सुविधा उपलब्ध नहीं होगी, उन्हें रहने के लिए किराए के लिए आर्थिक मदद दी जाएगी।
बजट में मुख्यमंत्री सुख आरोग्य योजना की घोषणा की गई है। इस योजना के तहत प्रदेश में 70 वर्ष से अधिक आयु के ऐसे बुजुर्गों व कृषकों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा दी जाएगी, जो आयकर न दे रहे हों या कोई पेंशन न ले रहे हों।
बजट में मुख्यमंत्री सुख-शिक्षा योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत विधवाओं के बच्चों के उच्च शिक्षा का खर्च प्रदेश सरकार वहन करेगी। मुख्यंत्री ने बजट भाषण में कहा कि ऐसी सभी विधवाओं के 27 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों, जिनकी सभी स़्त्रोतों से वार्षिक आय एक लाख रुपए से कम हो, उनकी शिक्षा पर होने वाला खर्च प्रदेश सरकार उठाएगी। इन बच्चों को मेडिकल कॉलेज, इंजीनिरिंग कालेज, एनआईटी, आईआईएम, आईआईटी, नर्सिंग, स्नातक व स्नातकोतर पाठयक्रमों में प्रवेश मिलने पर यह सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके अलावा विधवा, निराश्रित, तलाकशुदा और अक्षम माता-पिता के सभी पात्र बच्चों के आरडी खाते में 18 वर्ष की आयु तक एक हजार रुपये प्रति माह दिए जाएंगे।