र्वोत्तर भावना, अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी की त्रिवेणी से जुड़ हा है, शांति के प्रयास आगे बढ़े हैं: PM मोदी
नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार अष्टलक्ष्मी के नाम से विभूषित देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों को पूर्वोत्तर क्षेत्र को भावना, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी- की त्रिवेणी से जोड़ रही है और क्षेत्र में विभिन्न शांति समझौतों से हिंसा में कमी आयी है। श्री मोदी राजधानी में पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक जीवंतता और आर्थिक क्षमता को प्रदर्शित और प्रोत्साहित करने के उद्येश्य से आयोजित तीन दिन के अष्टलक्ष्मी महोत्सव का उद्घाटन कर रहे थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले एक साल में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास पर पांच लाख करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं। यह दर्शाता है कि सरकार पूर्वोत्तर को कितनी प्राथमिकता देती है। इस क्षेत्र के लिए सरकार ने कई विशेष योजनायें चालू की हैं। राजधानी के भारत मंडपम में आयोजित यह मेला यह सांस्कृतिक-व्यावसायिक महोत्सव छह से आइ दिसंबर तक चलेगा। यह मेला पहली बार आयोजित किया गया है। उद्घाटन समारोह में पूर्वोत्तर क्षेत्र (डोनर) विभाग के मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूवोत्तर राज्यों तथा सिक्किम सरकार के प्रतिनिधि मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने मेले का अवलोकन भी किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “ असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम.. पूर्वोतर के इन आठो राज्यों में अष्टलक्ष्मी के दर्शन होते हैं। ” उन्होने अष्टलक्ष्मी महोत्सव को पूर्वोत्तर के उत्तम भविष्य का उत्सव बताते हुए कहा, “ यह विकास के नूनत सूर्योदय का उत्सव है जो विकसित भारत के मशन को गति देने वाला है। ” प्रधानमंत्री ने कहा, “ पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों को पूर्वोत्तर क्षेत्र को हम इमोशन ( भावना), इकॉनमी ( अर्थव्यवस्था और इकोलॉजी ( पारिस्थितिकी)- इस त्रिवेणी से जोड़ रहे हैं। ”
उन्होंने कहा कि बीते एक दशक मे पूर्वोत्तर में शांति के लिये अनेक -ऐतिहासिक समझौते किये गये हैं। क्षेत्र के राज्यों में सीमाओं को लेकर जो विवाद थे उनके समाधान में भी काफी सौहार्द्रपूर्ण प्रगति हुई है। उन्होंने कहा, “ पूर्वोत्तर में हिंसा के मामलो में कमी आई है। अनेक जिलों से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) को हटाया जा चुका है, इसके लिये सरकार हर कदम उठा रही है। ”
अष्टलक्ष्मी महोत्सव में पारंपरिक हस्तशिल्प, हथकरघा, कृषि उत्पाद और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने के लिये इस महोत्सव में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इस महोत्सव में कारीगरों की प्रदर्शनियां, ग्रामीण हाट, राज्य विशेष मंडप होंगे और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिये महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर तकनीकी सत्र होंगे। प्रमुख कार्यक्रमों में निवेशक गोलमेज सम्मेलन और क्रेता-विक्रेता बैठकें शामिल हैं, जिन्हें इस क्षेत्र के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले नेटवर्क, भागीदारी और संयुक्त पहलों को निर्मित करने तथा मजबूत करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
इस महोत्सव में डिज़ाइन कॉन्क्लेव और फैशन शो होंगे, जिसमें पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध हथकरघा और हस्तशिल्प परंपराओं को राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित किया जायेगा। इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को उजागर करते हुये, इस महोत्सव में जीवंत संगीत प्रदर्शन और पूर्वोत्तर भारत के व्यंजनों का भी प्रदर्शन किया जायेगा।