आस्था के महाकुंभ में राष्ट्रभक्ति का ज्वार,सनातन ध्वज के साथ फहराया गया तिरंगा
महाकुम्भ नगर, संगम की रेती पर सनातन आस्था से ओतप्रोत महाकुंभ 76 वें गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रभक्ति के संगम में डूबा रहा।
महाकुम्भ क्षेत्र के साधु संतो और संस्थाओं के शिविरों में जगह जगह राष्ट्र ध्वज फहराया गया, राष्ट्रगान गाया गया और देश की एकता और अखंडता के लिए सामूहिक संकल्प लिए गए। धर्म और अध्यात्म में लीन रहने वाले साधू संतो में भी गणतंत्र दिवस पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया। महाकुम्भ का कोना कोना भगवा रंग के झंडों के साथ तिरंगे के रंग से सराबोर हो गया।
महाकुंभ के दंडी स्वामी संतो के दंडी स्वामी नगर में अखिल भारतीय दंडी स्वामी परिषद के अध्यक्ष स्वामी महेशाश्रम के शिविर में हजारों की संख्या में दंडी स्वामी संतो ने एक साथ मिलकर राष्ट्रध्वज का ध्वजारोहण किया और राष्ट्रगान गाया। माघ के महीने में संगम किनारे 2001 से गणतंत्र दिवस मनाने की दंडी स्वामियों की परम्परा की इस वर्ष सिल्वर जुबली है।
इस अवसर पर अखिल भारतीय दंडी स्वामी परिषद के अध्यक्ष श्री मद जगद्गुरु स्वामी महेशाश्रम ने सभी दंडी स्वामियों को देश की एकता और अखंडता के लिए शपथ दिलाई। स्वामी महेशाश्रम का कहना है कि देश के हर गांव ने एक एक दंडी स्वामी को भेजा जाएगा ताकि जाति के नाम पर हिंदू समाज को कमजोर करने की कोशिश को रोका जा सके क्योंकि राष्ट्र तभी मजबूत हो सकता है जब हिंदू सनातन धर्म मजबूत हो , सनातन धर्म की सभी जातियां एक हों।
संगमनगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के गंगा और यमुना के जिन घाटो में सुबह से ही हर-हर गंगे और हर -हर महादेव के मंत्रोच्चार की ध्वनियाँ गूजती है गणतंत्र की सुबह सभी घाट और शिविर जनगणमन से गूँज उठी। महा कुम्भ के आकर्षण अखाड़ा सेक्टर में भी गणतंत्र दिवस पर भगवा पर तिरंगे का अनोखा मेल देखने को मिला। पंच दशनाम श्री निरंजनी अखाड़े के शिविर में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी की अगुवाई में राष्ट्रध्वज फहराया गया। सभी साधु संतों ने श्रद्धालुओं के साथ जन गण मन भी तिरंगे के नीचे गाया। श्री पंच दशनाम संयासिनी अखाड़े में भी महिला नागा संन्यासिनियों ने तिरंगा फहराया कर गणतंत्र दिवस मनाया।
इस अवसर पर महंत रविंद्र पुरी ने मौनी अमावस्या में त्रिवेणी स्नान करने आ रहे सभी श्रद्धालुओं और भक्तों से अपील की कि महाकुम्भ आ रहे श्रद्धालुओं को कुंभ क्षेत्र में जहां भी निकट जो गंगा जी की धारा और घाट नजदीक दिखाई दे वहीं पर वह स्नान करें। सम्पूर्ण महा कुम्भ क्षेत्र में महा कुम्भ में स्नान करने का बराबर पुण्य फल मिलता है।