आईएमए ने अस्पतालों में हवाईअड्डे जैसी सुरक्षा व्यवस्था की प्रधानमंत्री मोदी से की मांग
नयी दिल्ली, भारत में आधुनिक चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों की शीर्ष संस्था इंडियन मेडिकल एसोसियेशन (आईएमए) ने कोलकाता के एक अस्पताल में प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हस्तक्षेप करने और अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को हवाईअड्डों की तरह चाकचौंबद करने की मांग की है।
इस बीच, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में नौ अगस्त की घटना और उसके विरोध में वहां आंदोलनरत मेडिकल कर्मियों पर हमले की घटना के विरोध में आईएमए ने आज देश भर में हड़ताल का आह्वान किया था, जिसके कारण अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर अन्य चिकित्सा सेवायें बंद रहीं।
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आर वी अशोकन और मानद महासचिव डॉ अनिल कुमार जे नायक ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में अस्पतालों में चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा के लिये पांच सुझाव और मांगें की हैं, जिसमें अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था को हवाईअड्डों जैसी रखे जाने और अस्पतालों को अनिवार्य सुरक्षा व्यवस्था के साथ सुरक्षित क्षेत्र घोषित किये जाने की मांग भी है।
आईएमए ने चिकित्सकों की सुरक्षा के लिये एक केन्द्रीय कानून बनाने का सुझाव दिया है जिसमें महामारी रोग अधिनियम 1987 में 2020 में किये गये संशोधनों के साथ यह जोड़े जाने का सुझाव दिया है और कहा है कि इससे राज्यों के स्तर पर लागू 25 कानूनों को बल मिलेगा।
आईएमए ने लिखा है कि इस घटना के शिकार चिकित्सक 36 घंटे की शिफ्ट ड्यूटी पर थी और उसे आराम करने की कोई सुरक्षित जगह या विश्राम गृह की सुविधा नहीं थी। इसे देखते हुये अस्पतालों में डॉक्टरों के रुकने और रहने की परिस्थितियों में सुधार की जरूरत है।
आईएमए ने प्रधानमंत्री से अपराध की इस घटना की पेशेवर तरीके से जांच किये जाने और न्याय किये जाने की मांग की है और कहा है कि पीड़ित परिवार को सहायता राशि दी जाये।
डॉ अशोकन और डॉ नायक ने प्रधानमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले की प्राचीर से महिला सुरक्षा के उद्बोधन की सराहना की है और कहा है कि आपकी ओर से हस्तक्षेप होने से न केवल महिला बल्कि सभी महिलाओं का कार्यस्थल पर सुरक्षा को लेकर विश्वास बढ़ेगा। उन्होंने कहा है कि भारत में चिकित्सा समुदाय में 60 प्रतिशत महिलायें हैं और दंत चिकित्सकों में महिलाओं का अनुपात 68 प्रतिशत है। इसी तरह फिजियोथेरेपी और नर्सिंग में 75 से 85 प्रतिशत तक महिलायें हैं।
आईएमए ने कहा है कि स्वास्थ्य सेवा से जुड़े हर कर्मी को शांतिपूर्ण, सुरक्षित और संरक्षित जगह की आवश्यकता है।
इस बीच, दिल्ली में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत संचालित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के साथ दिल्ली सरकार के अस्पतालों और निजी अस्पतालों में भी रेजीडेन्ट डॉक्टरों ने ओपीडी सेवाओं का बहिष्कार किया और केवल आपातकालीन विभागों में ही डॉक्टर सेवायें दे रहे थे।
दिल्ली में निजी क्षेत्र के फोर्टिस हेल्थ केयर के एक प्रवक्ता ने कहा कि उसके अस्पतालों में बड़ी संख्या में डॉक्टरों ने ओपीडी सेवाओं का रोक दिया था और केवल अत्यावश्यक मामलों में ही मरीजों को देख रहे थे। अस्पताल में आपातकालीन सेवायें सामान्य रूप से चल रही थीं।
इस बीच, कोलकाता के अस्पताल की घटना की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो द्वारा की जा रही है।