धीमा जहर साबित हो रहे हैं खर्राटे
जयपुर , खर्राटों से हार्ट अटैक, स्टोक, ब्लड प्रेशर, शुगर जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
राजस्थान स्टेट ईएनटी एसोसिएशन की यहां तीन दिवसीय 41वीं राज्य स्तरीय कांफ्रेंस राजएओआईकॉन-2024 में ईएनटी चिकित्सकों की चर्चा में यह बात सामने आई। इन बीमारियों की शुरुआत बदलती जीवनशैली को माना गया है। हैदराबाद की ईएनटी सर्जन डा. संपूर्णा घोष ने बताया कि भारत में पांच से आठ साल के बच्चों एवं पुरुषों में खर्राटे सामान्य बात होती जा रही है। कम उम्र के बच्चों में टोंसिल, एडोनायड बढ़ने से खर्राटों की समस्या पैदा होती है। जिसके चलते बच्चों में सांस लेने की समस्या होने लगती है और वे मुंह से भी सांस लेना शुरु कर देते है। इसी कारण से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास कम हो जाता है और इनके दांतों में भी विकृति आने लगती है। वहीं हार्ट, ब्रेन और फेफड़ों पर भी सीधा असर पड़ता है।
डा. घोष ने कहा कि देश में बड़ी उम्र के महिला पुरुषों में रात में खर्राटों की समस्या बढ़ रही है। जिससे सांस लेने में तकलीफ, रात में जागना, सिर भारी होना, चिड़चिड़ापन की समस्या आती है। इसके लिए मोटापा, पैदल ना चलना, नाक की हड्डी का टेढ़ा होना, टोंसिल, तालु में बदलाव के चलते भी खर्राटे की समस्या आती है। जिसके चलते हार्ट अटैक, स्ट्रोक, बीपी, शुगर की समस्या आजकल बढ़ रही है। यह समस्या महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक है।
उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) की स्टडी के अनुसार भारत में 104 मिलियन भारतीय खर्राटों से पीड़ित हैं। खर्राटों की समस्या महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक है। यूएस में वर्ष 2020 में हुई स्टडी के अनुसार अमरीका जैसे देश में भी खर्राटे लेने वालों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। इसके अनुसार 73 मिलियन पुरुष, 52 मिलियन महिला,20 मिलियन बच्चे खर्राटों की बीमारी से पीड़ित है।
उन्होंने कहा कि खर्राटे की समस्या का निदान के लिए ईएनटी चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले ताकि समय रहते इसका इलाज कराया जा सके।