लखनऊ में परिवार के छह सदस्यों की हत्या करने वाले दंपत्ति को फांसी की सजा

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में लखनऊ जिले की एक विशेष अदालत ने अपने ही परिवार के छह सदस्यों की हत्या करने वाले दम्पति को दोष सिद्ध करार देेते हुये शुक्रवार को फांसी की सजा सुनायी है।

जिले के बंथरा क्षेत्र में 30 अप्रैल 2020 को अजय सिंह और उसकी पत्नी रुपा ने संपत्ति विवाद में अपने ही परिवार के दो बच्चों समेत छह सदस्यों की हत्या कर दी थी। विशेष न्यायाधीश आयुर्वेद घोटाला प्रकरण/सीबीआई रोहित सिंह की अदालत ने गवाहों और सबूतों के आधार पर दंपत्ति को दोष सिद्ध करार दिया और फांसी के साथ एक-एक लाख रुपये जुर्माने के अलावा साजिश रचने के जुर्म में आजीवन कारावास और 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी। दोषी करार दिये गये पति को आर्म्स एक्ट के तहत तीन साल की कैद और पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी है।

अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि यह निर्मम और नृशंस हत्या का असाधारण मामला है, जो क्रूरतम और दुर्लभतम की श्रेणी में आता है। अदालत ने यह भी कहा है कि जब तक उच्च न्यायालय से फांसी की पुष्टि न हो जाए तब तक दोषी करार दम्पति को फांसी पर ना लटकाया जाए।

अभियोजन पक्ष के मुताबिक शिकायतकर्ता गुड्डी ने बंथरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 30 अप्रैल 2020 को उसके भाई अजय सिंह, उसकी पत्नी रूपा सिंह और बेटे ने साजिश रचकर उसके पिता अमर सिंह, मां राम दुलारी, भाई अरुण सिंह, भाभी राम सखी, भतीजे सौरभ और भतीजी सारिका की कुल्हाड़ी से काटकर और गोली मारकर हत्या कर दी।

मुकदमे में आरोप लगाया गया था कि अजय सिंह अपने पिता से धन की मांग करता था और उसे डर था कि उसके पिता जमीन बेचकर सारा पैसा उसके छोटे भाई अरुण और उसकी पत्नी राम सखी को दे देंगे। इसी वजह से उसने परिवार के छह लोगों की हत्या कर दी। अभियोजन पक्ष के अनुसार जांच में आरोपी बेटा नाबालिग पाया गया और उसका मामला किशोर न्यायालय में भेज दिया गया।

गवाहों ने अदालत को बताया था कि अजय ने अपने भाई और उसके परिवार की हत्या बगीचे में की थी। वहीं, पिता की खेत में और मां की घर में हत्या की गई। एक गवाह ने बताया कि वह मोटरसाइकिल से प्रताप के बगीचे में पहुंचा तो देखा कि अरुण सिंह के करीब छह वर्षीय बेटे की गर्दन कटी हुई थी। उससे 50 मीटर की दूरी पर अरुण की पत्नी और चार साल की बच्ची की गर्दन भी कटी हुई थी। थोड़ी ही दूरी पर अरुण सिंह का शव भी पड़ा था। उसके पैर में चोट और सिर में गोली का घाव था।

अदालत ने कहा कि अपराध का एकमात्र मकसद संपत्ति विवाद था और जिस तरह से घटना को अंजाम दिया गया वह बेहद नृशंस था। अदालत ने अपने फैसले में कहा, “ आस-पास और पूरे समाज में भय और आतंक पैदा करने की इच्छा से हत्या करना सामूहिक रूप से समाज की अंतरात्मा को इस तरह प्रभावित करता है कि इस न्यायालय की राय में अभियुक्तों के लिए एकमात्र न्यायोचित सजा मृत्युदंड है।”
अदालत ने बृहस्पतिवार 16 दिसंबर को मामले में फैसला सुनाते हुए अभियुक्तों को दोषी करार दिया था, जिसके बाद सजा की अवधि पर शुक्रवार को सुनवाई के बाद फैसला सुनाया गया।

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