राम मंदिर के गर्भगृह को आकार देने का काम अगले महीने से

अयोध्या, उत्तर प्रदेश में राम नगरी अयोध्या में जारी भव्य राम मंदिर के गर्भगृह को आकार देने का कार्य अगले महीने यानी जून में प्रारम्भ हो जायेगा, वहीं चबूतरे (प्लिंथ) का काम अभी चलता रहेगा।

राम मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक में रविवार को यह निर्णय लिया गया कि जून से राम मंदिर के गर्भगृह को आकार देने का काम प्रारम्भ हो जायेगा। हालांकि राम मंदिर के चबूतरे (प्लिंथ) का काम अभी चलता रहेगा जो अगस्त तक पूरा हो सकेगा। गर्भगृह व प्लिंथ का काम एक साथ संचालित करने की योजना बनी है। प्लिंथ के काम में अब तेजी लायी गयी है। प्रतिदिन ग्रेनाइट के करीब अस्सी पत्थर चबूतरे में लगाये जा रहे हैं। वहीं पत्थरों के आपूर्ति की समीक्षा भी की गयी जो संतोषजनक है। बताया गया कि गर्भगृह का काम भी शीघ्र शुरू हो जायेगा।

मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्र ने निर्माण कार्यों की समीक्षा की। ट्रस्ट व कार्यदायी संस्था के इंजीनियरों ने प्रजेंटेशन के माध्यम से अब तक हुए काम का ब्योरा प्रस्तुत किया। बैठक में तय हुआ कि जून से राम मंदिर के गर्भगृह को आकार देने का काम पूरा हो जायेगा। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष ने बैठक के पहले रामजन्मभूमि परिसर पहुंचकर निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने स्थलीय निरीक्षण के बाद रामजन्मभूमि परिसर स्थित विश्वामित्र आश्रम में एलएनडीटी के कार्यालय में बैठक की। इसमें ट्रस्ट के पदाधिकारियों सहित कार्यदायी संस्था के इंजीनियर शामिल हुए। बैठक में इंजीनियरों ने अब तक हुए कार्य की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।

ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने बताया कि पहले दिन केवल कार्यों की समीक्षा की गयी। अब तक कितना काम हुआ है, डेडलाइन तक काम पूरा हो पायेगा या नहीं, पत्थरों के आपूर्ति की क्या स्थिति है, रिटेनिंग वॉल के निर्माण की क्या प्रगति है, इन सबकी प्रगति रिपोर्ट मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत की गयी।

उन्होंने बताया कि अभी राम मंदिर के चबूतरे (प्लिंथ) का निर्माण कार्य चल रहा है। राम मंदिर की प्लिंथ सात लेयर में बननी है। अब तक पांच लेयर तैयार हो चुकी है, जो अगस्त तक पूरा हो जायेगा। उन्होंने बताया कि मंदिर को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिये तीन दिशा में बारह मीटर गहरी रिटेनिंग वॉल बनायी जा रही है। पश्चिम दिशा में सरयू की धारा प्रवाहमान है, ऐसे में सरयू की बाढ़ से आक्रमण को मंदिर बचाने के लिये बारह मीटर गहरी दिवाल बनायी जा रही है। अब तक उत्तर व दक्षिण दिशा में रिटेनिंग वॉल का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। करीब छह मीटर गहराई तक चट्टान बिछाई जा चुकी है। बरसात से पहले यह काम पूरा करने का लक्ष्य है।

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