मातृ शक्ति की सुरक्षा, सम्मान का भाव दैनिक जीवन में उतारने की जरूरत : सीएम योगी

मातृ शक्ति की सुरक्षा, सम्मान का भाव दैनिक जीवन में उतारने की जरूरत : सीएम योगी

गोरखपुर,  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय परम्परा में सर्वोच्च स्थान रखने वाली मातृ शक्ति की सुरक्षा, सम्मान व स्वावलंबन का भाव हर एक को अपने दैनिक जीवन में भी उतारने की आवश्यकता है।

गोरखनाथ मंदिर में रविवार को कन्या पूजन के बाद वासंतिक नवरात्र व श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं देते हुए श्री योगी ने रविवार को कहा कि नवरात्रि की नवमी तिथि पर नवदुर्गा स्वरूपा कुंवारी कन्याओं का पूजन संपन्न हुआ है। इसी महत्वपूर्ण तिथि पर समाज को मर्यादा के मार्ग पर ले जाने वाले व मानवीय जीवन मूल्यों का उच्च आदर्श प्रस्तुत करने वाले प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव देश दुनिया में सनातन धर्मावलंबियों द्वारा हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। अयोध्या धाम में श्रीरामनवमी पर विशेष आयोजन हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कन्या पूजन का अनुष्ठान नारी शक्ति को सुरक्षित रखने, उन्हें बेहतर माहौल देने, शासन की महिला कल्याणकारी योजनाओं को ईमानदारी से लागू करने के संकल्प और इसमें योगदान देने का भी स्मरण कराता है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, जननी सुरक्षा योजना, मातृ वंदना योजना, कन्या सुमंगला योजना व मिशन शक्ति से जुड़ कर हम सभी इन योजनाओं को सफलता की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव हमें उनके आदर्शों व मानवीय चरित्र से जुड़ने और बिना भेदभाव मानवीय गरिमा, सुरक्षा व सम्मान के कार्य की प्रेरणा प्रदान करता है। सबको न्याय व सबको सम्मान देना सरकार का लक्ष्य है। रामराज्य की इसी परिकल्पना को साकार करने की दिशा में सरकार कार्य कर रही है। उन्होंने इस परिकल्पना से आम जनमानस के जुड़ने की अपील की।

कन्या पूजन के उपरांत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रभु श्रीराम के बाल रूप को पालने में झुलाया। गोरखनाथ मंदिर के ओपन एयर थिएटर में प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव का समारोह सोहर गीतों के बीचआयोजित किया गया था। यहां पहुंचे सीएम योगी ने झूले पर विराजमान प्रभु के बाल रूप की विधि विधान से पूजा की। श्रद्धा भाव से उन्हें पालने में झुलाया और उनसे लोक कल्याण की मंगलकामना की।

प्रभु श्रीराम जन्मोत्सव समारोह से वापस लौटते वक्त सीएम योगी की नजर मंदिर परिसर में कुछ बच्चों पर पड़ गई। चिर परिचित बाल प्रेम दिखाते हुए वह उन बच्चों के पास रुक गए। बच्चों से ठिठोली करते हुए उन्होंने पूछा, मंदिर के भोजन प्रसाद में सबसे अधिक पूड़ी किसने खाई। एक एक बच्चे के यह कहते ही कि मैंने सबसे अधिक पूड़ी खाई, मुख्यमंत्री खिलखिला कर हंस पड़े। उन्होंने सभी बच्चों के माथे पर हाथ फेरकर उन्हें दुलारा और आशीर्वाद प्रदान किया। मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर इन बच्चों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।

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