बॉलीवुड में जुबली गर्ल के रूप में पहचान बनायी आशा पारेख ने
बॉलीवुड में जुबली गर्ल के रूप में पहचान बनायी आशा पारेख ने
मुंबई,बॉलीवुड में आशा पारेख ने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है, लेकिन करियर के शुरआती दौर में उन्हें वह दिन भी देखना पडा था.जब एक निर्माता-निर्देशक ने उन्हें यहां तक कह दिया कि उनमें स्टार अपील नहीं है।
आशा पारेख को इस साल 68वें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।आशा पारेख ने कहा, यह अवॉर्ड 80 साल में अब तक का सबसे बेहतरीन गिफ्ट है। यह अवॉर्ड पा कर बहुत अच्छा लग रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मेरी सारी तमन्नाएं पूरी हो गई हों। शुरुआत में जब मुझे पता चला कि मुझे ये अवॉर्ड मिल रहा है, तब मुझे यकीन ही नहीं हुआ। लेकिन अब वाकई में लग रहा है कि मुझे ये अवॉर्ड मिला है।
02 अक्तूबर 1942 को मुंबई में एक मध्यम वर्गीय गुजराती परिवार में जन्मीं आशा पारेख ने अपने सिने करियर की शुरूआत बाल कलाकार के रूप में 1952 में प्रदर्शित फिल्म आसमान से की। इस बीच निर्माता-निर्देशक विमल राय एक कार्यक्रम के दौरान आश पारेख के नृत्य को देखकर काफी प्रभावित हुये और उन्हें अपनी फिल्म बाप बेटी में काम करने का प्रस्ताव दिया। वर्ष 1954 में प्रदर्शित यह फिल्म टिकट खिड़की पर असफल साबित हुयी। इस बीच आशा पारेख ने कुछ फिल्मों में छोटे मोटे रोल किये लेकिन उनकी असफलता से उन्हें गहरा सदमा पहुंचा और उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर अपना ध्यान एक बार फिर से अपनी पढ़ाई की ओर लगाना शुरू कर दिया।
वर्ष 1958 में आशा पारेख ने अभिनेत्री बनने के लिये फिल्म इंडस्ट्री का रूख किया, लेकिन निर्माता-निर्देशक विजय भट्ट ने आशा पारेख को अपनी फिल्म .गूंज उठी शहनाई में काम देने से इंकार कर दिया। हालांकि इसके ठीक अगले दिन उनकी मुलाकात निर्माता- निर्देशक नासिर हुसैन से हुयी जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचान कर अपनी फिल्म दिल देके देखो में काम करने का प्रस्ताव दिया। वर्ष 1959 में प्रदर्शित इस फिल्म की कामयाबी के बाद आशा पारेख फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कुछ हद तक कामयाब हो गयी।वर्ष 1960 में आशा पारेख को एक बार फिर से निर्माता-निर्देशक नासिर हुसैन की फिल्म जब प्यार किसी से होता है में काम करने का अवसर मिला। फिल्म की सफलता ने आशा पारेख को स्टार के रूप में स्थापित कर दिया।