प्रसार का साझा प्रयास, सुरक्षित गर्भ समापन पर लखनऊ में कार्यशाला

लखनऊ , प्रसार संस्था एवं सॉंझा प्रयास के संयुक्त तत्वाधान में सुरक्षित गर्भ समापन एवं गर्भ निरोधक सेवाओं को लेकर गैर सरकारी संगठनों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन राजधानी में किया गया। कार्यशाला में दर्जनों संस्था के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यशाला में उपस्थिति स्वयं सेवी संगठनों के साथियों को अनचाहा गर्भ और गर्भपात पर चर्चा करते हुए प्रसार संस्था के सचिव शिशुपाल ने बताया कि जहॉं एक तरह सरकार अपने विभिन्न विभागों के साथ समन्वय कर इस कुरीति को दूर करने के लिए कृत संकल्पित है वहीं गैर सरकारी सगठनों का एक नेटवर्क सॉंझा प्रयास अपने साथी संस्थाओं के साथ इस मुद्दे पर निरन्तर प्रयासरत है। इसी कडी में आज का यह कार्यक्रम संस्थाओं के साथ किया जा रहा है।
उन्होंने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बताया कि एमटीपी एक्ट संशोधन 2021 के मुख्य पांच बदलाव – पहला-विशेष श्रेणियों की महिलाओं के लिए गर्भपात की ऊपरी सीमा 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दिया गया। दूसरा -पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में, गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भपात, मेडिकल बोर्ड की अनुमति से कराया जा सकता है। तीसरा-गर्भनिरोधक साधनों की विफलता की स्थिति में अब गर्भपात की सेवा, अविवाहित महिलाओं के लिए भी उपलब्ध है। चौथा- 20 सप्ताह तक के गर्भपात के लिए केवल एक प्रषिक्षित डॉक्टर और 20 से 24 सप्ताह के लिए 2 प्रशिक्षित डॉक्टरों की राय जरूरी है। पॉंचवा- किसी भी महिला की गर्भपात सम्बन्धी जानकारी की गोपनीयता के सुदृढ़ीकरण पर ज्यादा जोर दिया गया है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि आईपास के राज्य प्रतिनिधि डॉ देवेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि
भारत में प्रतिदिन 13 महिलाओं की असुरक्षित गर्भपात से संबंधित कारणों से मृत्यु हो जातीहै और सैंकड़ों महिलाएं गंभीर जटिलताओं का सामना करती है। यानि देश में होने वाली मातृ-मृत्यु में से 8 प्रतिशत असुरक्षित गर्भपात के कारण होती है। यदि किसी महिला को माहवारी के दिन चढ़ गये हो या उसे अनचाहे गर्भ के ठहरने की आशंका हो तो उसे बिना किसी देरी के नजदीकी आशा या एएनएम से संपर्क करना चाहिए या डॉक्टर को दिखाना चाहिए। उन्होंने बताया कि यदि गर्भ 20-24 तक का हो तो संषोधित एमटीपी एक्ट 2021 के तहत गर्भपात कराया जा सकता है। अगर गर्भ 9 सप्ताह तक का हो तो गोलियों द्वारा गर्भपात भी किया जा सकता है। गर्भपात जितना जल्दी कराया जाये उतना ही सरल और सुरक्षित होता है।उन्होंने बार बार गर्भ समापन से महिलाओं में बढ़ते कुपोषण का भी जिक्र किया ।
अपने सम्बोधन में यूपीवीएच के विवेक अवस्थी ने बताया कि एक महिला के लिए गर्भपात एक मुश्किल निर्णय हो सकता है और वह प्रक्रिया के दौरान कई की भावनाओं का अनुभव करती है। उसके पति एवं परिवार को महिला के निर्णय में सहयोग देना चाहिए और उसकी सुरक्षित और कानूनन सेवाएं लेने में मदद करनी चाहिए। सही जानकारी और आपसी सहयोग से हम देश में हो रही असुरक्षित गर्भपात संबंधित जटिलताओं की संख्या कम कर सकते हैं।
इस मौके पर सहयोग संस्था की सुनीता, जे पी शर्मा, डॉ. एस पी पाण्डेय, शुभ्रा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।