रेलवे ने शुरू किया कंबलों का अल्ट्रा वायलेट कीटाणुशोधन
नयी दिल्ली, भारतीय रेलवे ने अपने यात्रियों को स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता के बेडरोल देने के लिए उनकी साफ-सफाई में खासकर कंबल की सफाई के लिए अल्ट्रा वाॅयलेट तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया है जो तकरीबन शत-प्रतिशत सफल सिद्ध हुई है।
उत्तर रेलवे के प्रवक्ता एवं मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय ने शनिवार को यहां संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रेलवे ने अपने यात्रियों को स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता के बेडरोल देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए रेलवे बोर्ड द्वारा स्पष्ट नीति निर्धारण की गई है।
उन्होंने कहा कि कंबल की सफाई का समय 2010 में पहले के तीन महीने से घटाकर दो महीने कर दिया था और 2016 के बाद से इसे और भी कम करके 15 दिन कर दिया गया है। लॉजिस्टिक्स चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में यह 20 से 30 दिन तक बढ़ सकता है।
हिमांशु शेखर उपाध्याय ने कहा कि उत्तर रेलवे पर संचालित होने वाली सभी ट्रेनों में वातानुकूलित श्रेणी के कोचों में साफ, स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाले बेडरौल प्रदान किये जा रहे हैं। सभी चादरों और तकिया कवर को प्रत्येक उपयोग के बाद मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में धुलाई और इस्त्री की जाती है ताकि यात्रियों को स्वच्छ बेडरॉल देकर उनकी आरामदायक, हाईजीनिक और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित की जा सके।
उन्होंने बताया कि 2010 से पहले कंबलों की धुलाई जहां तीन महीने में एक बार की जाती थी, उस अवधि को घटा कर 2010 से दो महीने में एक बार तथा वर्तमान में 15 दिन में एक बार किया गया है। रेलवे द्वारा एसी कोच में प्रत्येक यात्री को दो चादरें दी जाती है जिसमें से एक सीट पर बिछाने तथा दूसरी कंबल के कवर के रूप में इस्तेमाल के लिए दी जाती है। इसके अतिरिक्त एसी कोच का तापमान भी 24 के आसपास रखा जाता है ताकि कंबल की आवश्यकता ही न पड़े और चादर ही पर्याप्त हो।
उन्होंने कहा कि उत्तर रेलवे ने प्रयोग के तौर पर रांची राजधानी में उच्च गुणवत्ता वाली बेड रोल देना शुरू किया था। अब उत्तर रेलवे द्वारा संचालित राजधानी, दुरोंतो एवं एसी स्पेशल गाड़ियों में उच्च गुणवत्ता वाले बेड रोल दिए जा रहे है।
हिमांशु शेखर उपाध्याय ने कहा कि हाल ही में उत्तर रेलवे द्वारा गाड़ी संख्या 12424 नई दिल्ली- डिब्रूगढ़ राजधानी में अल्ट्रा वायलेट कंबल कीटाणुशोधन किया। हर राउंड ट्रिप समाप्त होने पर उक्त गाड़ी के कम्बलों को अल्ट्रा वायलेट कंबल कीटाणुशोधन के लिए भेजा गया, तत्पश्चात कम्बल का स्वाब लैब में टेस्टिंग के लिए भेजा गया। इसमें उत्तर रेलवे ने 99.7 प्रतिशत सफलता हासिल की।
उन्होंने कहा कि उत्तर रेलवे पर बेडरौल की अनुपलब्धता और गंदे या फटे बेडरौल की शिकायतों में निरंतर कमी आ रही है। इसके साथ ही चादरों और कंबलों को कुछ समय बाद बदला भी जाता है तथा नए लिनेन सेट की खरीद की जाती है। मैकेनाइज्ड लॉन्ड्रियो में भी सफाई के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है तथा सीसीटीवी एवं स्टाफ द्वारा निरंतर निगरानी रखी जाती है। धुले हुए कपड़ों की गुणवत्ता को चेक करने के लिए व्हाइटोमीटर का इस्तेमाल किया जाता है।
हिमांशु शेखर उपाध्याय ने कहा कि उत्तर रेलवे मुख्यालय एवं मंडल स्तर रेल मदद पर प्राप्त बेड रोल सहित अन्य शिकायतों की निगरानी के लिए वार रूम स्थापित किए गए हैं, जो यात्रियों की शिकायत एवं फीडबैक पर निरंतर 24 घंटे निगरानी करते हैं। रेलवे यात्रियों के सुरक्षित एवं आरामदायक यात्रा के लिए कटिबद्ध है।