मझवां विधानसभा सीट पर उपचुनाव में भाजपा व सपा के बीच है कांटे की टक्कर
मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश मे मिर्जापुर जिले की मझवां विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। इस चुनाव में भी प्रदेश की दो परम्परागत प्रतिद्वंद्वी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) आमने-सामने दिख रही है। हालांकि समीकरणों दृष्टि से मजबूत बसपा इस चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में लगी है।
सपा को यहां अपना खाता खोलना है। पार्टी ने यहां वह कभी जीत हासिल नहीं की है।भाजपा को अपनी सीट को बरकरार रखने की चुनौती है। दोनों दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है।सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव कछवा के गांधी मैदान में आने की तैयारियों में सपाई जुटे हैं तो 11नवम्बर को इसी मैदान पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा आयोजित है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक पांच नवंबर को पैडापुर के मैदान में जन सभा को संबोधित करेंगे। उनके कार्यक्रम को सफल बनाने में भाजपाई जी जान लगा रखा है।यह क्षेत्र ब्राह्मणबहुल है। उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य का कार्यक्रम भी लगा है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी 7या 8को कार्यकर्ताओं की बड़ी बैठक करने वाले हैं। भाजपा की ओर एक दर्जन से अधिक मंत्री और विधायक अपनी अपनी जाति को साधने के लिए घर घर जा रहे हैं। मंत्री अनिल राजभर यहां डेरा डाल रखा है।वही स्थानीय मंत्री और अपनादल के नेता आशीष पटेल और केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी कोई कोर कसर नही छोड़ रखी है।
यही हाल समाजवादी पार्टी का भी है। जितनी जाति उस जाति के नेता पूरे विधानसभा में डटे हैं।
असल में इस विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण,बिंद और दलित की संख्या सर्वाधिक है।सपा बिंद के साथ अपने एमवाई फार्मूला के सहारे है। अन्य पिछड़ी जातियों के साथ दलित वोट मे सेंध ही उसकी नैया पार लगा सकती है।वही भाजपा को ब्राह्मण और अन्य अगड़ी जातियों के साथ मौर्या और दलित वोट की आवश्यकता है।यह अंकगणित दोनों दलों को मालूम है। लिहाजा इसी समीकरण को दृष्टिगत योजना को मूर्त रूप दिया जा रहा है।
उधर बसपा उम्मीदवार समीकरण के लिहाज से सबसे मजबूत दिख रही है।दो बड़ी जातियों के मिलने से चौंकाने वाला परिणाम हो जाते हैं पर भौतिक धरातल पर ऐसा नहीं है। बसपा को गम्भीरता से नही ले रहे हैं। ऐसा बसपा की राष्ट्रीय स्तर पर स्थिति के कारण है।
फिलहाल लड़ाई भाजपा सपा के बीच लगातार सिमटती जा रही है।दो दलो नेकोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है। सपा को अखिलेश यादव का इंतजार है। भाजपा के बड़े नेताओं का दौरा कल से शुरू हो रहा है।मतदाओ की खामोशी से दोनों दल संशय में है। लड़ाई कांटे की है।