बस्ती लोकसभा में कांग्रेस को चार दशकों से है जीत का इंतजार
बस्ती, उत्तर प्रदेश की राजनीति में लुप्तप्राय: हो चुकी कांग्रेस मौजूदा लोकसभा चुनाव में भले ही बेहतर प्रदर्शन का दावा कर रही है मगर सच है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिये घनी आबादी वाले राज्य में अपनी जड़ों को सींचने के लिये और अधिक पसीना बहाना होगा।
रायबरेली को छोड़ दिया जाये तो पिछले एक दशक में कांग्रेस का प्रदर्शन अधिसंख्य क्षेत्रों में चिंता में डालने वाला रहा है। ऐसी ही एक लोकसभा सीट बस्ती में कांग्रेस पिछले चार दशकों से जीत की बाट जोह रही है। कांग्रेस को यहां 1984 के बाद अब तक जीत का स्वाद नहीं मिल सका है। 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के रामअवध प्रसाद लोकदल के राम दुलेरा सोनकर को एक लाख 54 हजार 602 मतों से हराकर सांसद बने थे। वर्ष 1989 में जनता दल के प्रत्याशी कल्पनाथ सोनकर ने कांग्रेस के रामअवध प्रसाद को 33 हजार 219 मतों से हरा दिया था जबकि 1991 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी श्यामलाल कमल ने 71 हजार 465 मतों से जीत दर्ज की थी। 1996 में (भाजपा के श्रीराम चौहान 49 हजार 838 मतों से चुनाव जीतकर संसद भवन पहुंचे थे। 1998 तथा 1999 में लोकसभा चुनाव में भी श्रीराम चौहान ने यहां भगवा लहराया था।
2004 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाजपार्टी (बसपा) के प्रत्याशी लालमणि प्रसाद ने श्री चौहान को 25 हजार 374 मतों से हरा दिया था। 2009 के चुनाव में भी बस्ती से बसपा प्रत्याशी अरविन्द कुमार चौधरी जीते थे। 2014 के चुनाव मेें भाजपा के हरीश द्विवेदी ने मोदी लहर के बीच समाजवादी पार्टी (सपा) प्रत्याशी बृजकिशोर सिंह डिम्पल को 33 हजार 562 मतों से हराया और 2019 में भी हरीश द्विवेदी ने दोबारा जीत हासिल की।
मौजूदा चुनाव में भी भाजपा ने वर्तमान सांसद हरीश द्विवेदी को प्रत्याशी बनाया है जिनका मुकाबला इंडिया समूह के सपा प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री रामप्रसाद चौधरी और भाजपा छोड़ कर बसपा में शामिल हुये दयाशंकर मिश्र से है।