विंध्यवासिनी के दरबार में नेताओ की हाजिरी चरम पर
मिर्जापुर, चुनावी मौसम में अपनी मनोकामनाओं के साथ नेताओं का विंध्यवासिनी मां के दरबार में हाजिरी लगाने का सिलसिला जोर पकड़ता जा रहा है।
नवरात्र में नेताओं के चुनावी सफलता के लिए अनुष्ठान एवं विशेष पूजा पाठ की चर्चा है। स्थानीय पुरोहित पंडा अपने अपने यजमानों के लिए पूजन कर रहे हैं। कुछ नेताओं के पुरोहित अपनी टीम के साथ नवदिन के लिए यहां धूनी जमा रखीहै।इन दिनों पंडा की चांदी है।
विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ विंध्याचल को जहां आध्यात्मिक मोक्ष के लिए जाना जाता हैं।वही परा अपरा विद्या का बड़ा केन्द्र रहा है।मारण, उच्चाटन एवं सम्मोहन आदि के लिए यज्ञ अनुष्ठान भी जाना जाता है। कुछकाफी चर्चित भी रहे हैं।वाममार्गियों का जमावड़ा लगा रहता है। विंध्य घाम मनोकामना पूर्ण करने के मनौती मांगने और मनौती पूरी होने पर कृतज्ञता ज्ञापन करने का विधान आम प्रचलन में है।
नवरात्र के पवित्र दिनों में पंडित पुरोहित अपने अपने यजमानों के लिए नव दिन पाठ किया जाता रहा है। मान्यता है कि नवदिन जो पाठ करावही, नवरात्रमह बिप्र जेवाई। निश्चय होई प्रसन्न भवानी। चुनावी मौसम में नेता जनता के बीच पसीने बहा रहे हैं वहीं आध्यात्मिक रूप से सफलता के लिए प्रसिद्ध सिद्धपीठ में पूजा पाठ अनुष्ठान किया जा रहा है। हालांकि किन किन नेताओं का किस पंडा के यहां अनुष्ठान पाठ विशेष पूजा एवं अखण्ड ज्योति जल रही है।इसकी कनफूसिया जारी है।पर कोई पंडा अपने यजमान का नाम और पूजन विधि की चर्चा नही करते है।
सूत्रों ने बताया कि उत्तर भारत के कई बड़े नेताओं के लिए यहां अखण्ड ज्योति बारहों मास जलती है।यह सर्वविदित है। चुनावी सफलता एवं राजनीतिक सफलता के लिए यज्ञ अनुष्ठान आदि होते हैं। इसमें भाजपा नेता ही नही बल्कि सभी दलों के नेता शामिल हैं। इसके लिए नेता द्वारा अपने पुरोहित पंडा को बाकायदा पैसे दिए जाते हैं। अनुष्ठान यज्ञ पूर्ण होने पर खुद या परिवार के किसी सदस्य द्वारा पूर्णाहुति में शामिल होना होता है। राजनीति सफलता या किसी संकट से मुक्ति के लिए अनुष्ठान होते हैं।जिसकी चर्चा भी रहती है।
बहरहाल नवरात्र मेले में दर्शनार्थियों की भीड़ है। श्रद्धालु मनोकामना लेकर यहां आते है। देवी का आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं। लेकिन इस चुनाव में उम्मीदवारो के लिए पूजा पाठ हो रहा है। इससे किसी भी पंडा पुरोहित को इंकार नही है। पूजन में किस पंडा कितने पैसे मिलते हैं।इसका केवल अंदाजा ही लगाएं जाते हैं।पर पंडों की व्यस्तता उनके चहरे की चमक खुद पर खुद कहानी बयां कर देती है।