सपा कार्यकर्ताओं ने अपने ही विधायक के विरोध में की पंचायत
सहारनपुर, सहारनपुर देहात के सपा विधायक आशु मलिक के खिलाफ उन्हीं की पार्टी के नेताओं ने पंचायत कर उन्हें मुंह तोड़ जवाब देने का संकल्प लिया। जवाब में आशु मलिक ने कहा कि उनके खिलाफ जिले में बहुत दिनों से राजनीतिक साजिश हो रही है। वह उनका जवाब देंगे। सहारनपुर देहात की जनता ने उन्हे चुना है और वह उनकी सेवा में पूरे समर्पण भाव से लगे हुए हैं।
आशु मलिक के विरोधी सपा नेताओं ने नगर के बेहट रोड़ स्थित एक वेंक्वेट हाल में बड़ी पंचायत की, जिसमें सपा के पूर्व प्रांतीय सचिव ईसरार प्रमुख ने कहा कि वह और उनके हजारों समर्थक आशु मलिक को इस जिले से भगाकर ही दम लेंगे। आशु मलिक मुरादनगर के रहने वाले हैं और 2022 के विधानसभा चुनाव में वह सपा के टिकट पर सहारनपुर देहात सीट से चुने गए थे।
सपा में उस दौरान कांग्रेस के मौजूदा सांसद इमरान मसूद भी थे। माना जाता है कि मुसलमानों पर उनकी जबरदस्त पकड़ का लाभ सपा उम्मीदवारों को मिला था। सपा का एक अन्य विधायक उमर अली खान बेहट से निर्वाचित हुये थे। उमर अली दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी के दामाद हैं। आशु मलिक को अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है। माना जाता है कि आशु मलिक और उनके साथियों की वजह से इमरान मसूद ने सपा छोड़ कर बसपा का दामन थाम लिया था।
नगर निगम के मेयर पद के चुनाव में इमरान मसूद की भाभी बसपा उम्मीदवार थी। ऐन वक्त पर आशु मलिक ने सपा के टिकट पर अपने सगे भाई को मैदान में उतार दिया था। मुस्लिम वोटों के बंटवारे के चलते इमरान मसूद की भाभी की चुनाव हार गई थी। इमरान मसूद को बसपा छोड़ने को भी मजबूर होना पड़ा था।
पार्टी सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनावों में सपा-कांग्रेस गठबंधन में कांग्रेस नेतृत्व ने खासकर प्रियंका गांधी ने जिद्द करके इमरान मसूद को उम्मीदवार बनवाया था जबकि अखिलेश यादव बसपा के पूर्व सांसद फजर्लुरहमान कुरैशी को टिकट देने पर अड़े थे। कांग्रेस नेतृत्व के अड़ियल रूख के सामने अखिलेश यादव ने अपने कदम पीछे कर लिए। जिले के कई सपा नेताओं ने इस तरह की खुली और छिपी हरकतें कीं जिससे इमरान मसूद को दिक्कतों का सामना करना पड़े। लेकिन लगातार तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले इमरान मसूद को मतदाताओं का भरपूर समर्थन मिला और चुनाव में भाजपा के साथ-साथ उनके निजी विरोधियों की भी शिकस्त हुई।
इमरान मसूद सांसद जरूर बन गए लेकिन उनके विरोधी सपाई अभी भी जिले में उनको घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। आशु मलिक के खिलाफ हुई पंचायत दरअसल उन्हें विरोधियों द्वारा मुंह तोड़ जवाब देने की कोशिश का ही नतीजा है।
इस पंचायत में 20 प्रमुख नेताओं की एक कमेटी का गठन किया गया है जो अखिलेश यादव से मिलकर सहारनपुर देहात सीट से टिकट की दावेदारी करेगी। इस कमेटी में कारी मुजम्मिल, अब्दुल हफीज, कारी परवेज, प्रधान अब्दुल कबीर, कारी अब्दुल मलिक, तहसीन मलिक, हाजी मोहम्मद इस्लाम, जवाब मलिक, उज्जवल यादव, सराफत प्रधान, जहुर अहमद, बंटी प्रधान, रिजवान प्रधान, अब्दुल वली, ताहिर प्रधान, सत्तार कुरैशी, जावेद देवला, फुरकान मलिक, कारी इजराइल हक, असलूब प्रधान आदि शामिल हैं।
पंचायत के बाद सपा के पूर्व प्रांतीय सचिव इसरार प्रमुख ने पत्रकारों से कहा कि वे 2027 के चुनाव से पहले आशु मलिक को सहारनपुर से भगाकर ही दम लेंगे। दिलचस्प बात यह है कि आशु मलिक के खिलाफ हुई बैठक में ज्यादातर नेता उन्हीं के बिरादरी के थे। सपा के ज्यादातर नेता इमरान मसूद के साथ हैं। इनमें सपा एमएलसी शाहनवाज खान, पूर्व विधायक मसूद अख्तर खुल्लमखुला इमरान मसूद के साथ हैं।