विकास के साथ विरासत के मंत्र को आत्मसात कर रहा है नया भारत: PM मोदी
संभल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि आज का नया भारत विकास के साथ विरासत के मंत्र को आत्मसात कर रहा है।
कल्कि मंदिर के शिलान्यास के अवसर पर श्री मोदी ने कहा “ हम विकास भी, विरासत भी के मंत्र को आत्मसात करते हुए चल रहे हैं। आज एक ओर हमारे तीर्थों का विकास हो रहा है, तो दूसरी ओर शहरों में हाइटेक इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार हो रहा है। आज अगर मंदिर बन रहे हैं, तो देश भर में नए मेडिकल कॉलेज भी बन रहे हैं। आज विदेशों से हमारी प्राचीन मूर्तियां भी वापस लाई जा रही हैं और रिकॉर्ड संख्या में विदेशी निवेश भी आ रहा है।”
कांग्रेस का नाम लिये बगैर उन्होने कहा “ कई ऐसे अच्छे काम हैं, जो कुछ लोग मेरे लिए ही छोड़ कर चले गए हैं। आगे भी जितने अच्छे काम रह गए हैं, उनको भी संतों और जनता-जनार्दन के आशीर्वाद से हम पूरा करेंगे। मुझे विश्वास है कि कल्कि धाम भारतीय आस्था के एक और विराट केंद्र के रूप में उभरकर सामने आएगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पराभव से भी विजय को खींच लाने वाला राष्ट्र है। हम पर सैकड़ों वर्षों तक इतने आक्रमण हुए। कोई और देश होता, कोई और समाज होता तो लगातार इतने आक्रमणों की चोट से पूरी तरह नष्ट हो गया होता। फिर भी हम न केवल डटे रहे, बल्कि और भी ज्यादा मजबूत होकर सामने आए। आज पहली बार भारत उस मुकाम पर है, जहां हम अनुसरण नहीं कर रहे, उदाहरण पेश कर रहे हैं।
उन्होने कहा कि आज पहली बार भारत को टेक्नोलॉजी और डिजिटल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में संभावनाओं के केंद्र के रूप में देखा जा रहा है। हमारी पहचान इनोवेशन हब के तौर पर हो रही है। पहली बार भारत का नागरिक चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने में हो, अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता है।
श्री मोदी ने कहा “ देश में सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास का ज्वार अद्भुत है।
इसलिए आज हमारी शक्ति भी अनंत है और हमारे लिए संभावनाएं भी अपार हैं।”
उन्होने कहा कि कई एकड़ में फैला ये विशाल धाम कई मायनों में विशिष्ट होने वाला है। ये ऐसा मंदिर होगा, जिसमें 10 गर्भगृह होंगे और भगवान के सभी 10 अवतारों को विराजमान किया जाएगा। दस अवतारों के माध्यम से हमारे शास्त्रों में केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि अलग-अलग स्वरूपों में ईश्वरीय अवतार को प्रस्तुत किया गया है। यानी हमने हर जीवन में ईश्वर की ही चेतना के दर्शन किये हैं।
श्री मोदी ने कहा कि आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्म-जयंती भी है। ये दिन इसलिए और भी पवित्र और प्रेरणादायक हो जाता है। आज हम देश में जो सांस्कृतिक पुनरोदय देख रहे हैं, अपनी पहचान पर गर्व कर रहे हैं, ये प्रेरणा हमें छत्रपति शिवाजी महाराज से ही मिलती है। मैं इस अवसर पर छत्रपति शिवाजी महाराज के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज यूपी की धरती से भक्ति, भाव और अध्यात्म की एक और धारा प्रवाहित होने को लालायित है। आज पूज्य संतों की साधना और जनमानस की भावना से एक और पवित्र धाम की नींव रखी जा रही है।
उन्होने कहा कि अभी आप सभी की उपस्थिति में मुझे भव्य कल्कि धाम के शिलान्यास का सौभाग्य मिला है। पिछले महीने ही, देश ने अयोध्या में 500 साल के इंतज़ार को पूरा होते देखा है। रामलला के विराजमान होने का वो अलौकिक अनुभव, वो दिव्य अनुभूति अब भी हमें भावुक कर जाती है।
श्री मोदी ने कहा “ इसी बीच हम देश से सैकड़ों किमी दूर अरब की धरती पर, अबू धाबी में पहले विराट मंर के लोकार्पण के साक्षी भी बने हैं। इसी कालखंड में हमने विश्वनाथ धाम को निखरते देखा है। इसी कालखंड में हम काशी का कायाकल्प देख रहे हैं। इसी दौर में महाकाल के महालोक की महिमा हमने देखी है। हमने सोमनाथ का विकास देखा है, केदार घाटी का पुनर्निर्माण देखा है।”
उन्होने कहा कि 22 जनवरी से अब नए कालचक्र की शुरुआत हो चुकी है। प्रभु श्रीराम ने जब शासन किया, तो उसका प्रभाव हजारों वर्ष तक रहा। उसी तरह रामलला के विराजमान होने से अगले हजार वर्षों तक भारत के लिए एक नई यात्रा का शुभारंभ हो रहा है। भगवान राम की तरह ही कल्कि अवतार भी हजारों वर्षों की रूपरेखा तय करेगा। हम ये कह सकते हैं कि कल्कि कालचक्र के परिवर्तन के प्रणेता भी हैं और प्रेरणास्रोत भी हैं।
भारत पराभव से भी विजय को खींच लाने वाला राष्ट्र है।